7 जनवरी 2020 को जस्टिस आरएस चौहान ने राजभवन में उत्तराखंड हाईकोर्ट के 11 वें मुख्य न्यायाधीश पद की शपथ ली। आर एस चौहान इससे पहले तेलंगाना High Court के Chief Justice थे ।बता दें कि high court के मुख्य न्यायधीश को शपथ संविधान के article 219 के तहत दिलाई जाती है
Justice आरएस चौहान को राज्यपाल बेबीरानी मौर्य ने शपथ दिलायी । केंद्र सरकार ने 31 दिसंबर को उनके उत्तराखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बनाने की अधिसूचना जारी की थी।
High Court के मुख्य न्यायधीश की नियुक्ति राज्यपाल के परामर्श पर राष्ट्रपति द्वारा होती है और शपथ राज्यपाल दिलाता है ।
आर एस चौहान का पूरा नाम राघवेंद्र सिंह चौहान है, उनका जन्म 24 दिसंबर 1959 को हुआ था मूल रूप से राजस्थान के जयपुर निवासी हैं और उन्होंने 1983 से वकालत के क्षेत्र में अपना करियर प्रारंभ किया था। जून 2005 में वे राजस्थान हाई कोर्ट जयपुर बेंच में जज नियुक्त हुए थे और उसके बाद से वे कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना हाई कोर्ट में अपनी सेवाएं दे चुके हैं। वे क्रिमनल एवं सर्विस मामलों के विशेषज्ञ माने जाते हैं आरएस चौहान ने अपनी अधिवक्ता की पारी राजस्थान हाईकोर्ट से शुरू की थी।
उत्तराखंड हाईकोर्ट में बतौर कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश नियुक्त जस्टिस रवि आर मलिमथ को हिमाचल हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनाया गया है।
उच्च न्यायलय संबंधी उपबंध
भारत मे उच्च न्यायलय संस्था का सर्वप्रथम गठन 1862 मे हुआ ,उस समय कलकत्ता, बंबई और मद्रास उच्च न्यायलयों की स्थापना हुई ।
1866 मे चौथे उच्च न्यायलय की स्थापना इलाहबाद मे हुई । भारत के संविधान मे प्रत्येक राज्य के लिए एक उच्च न्यायलय की व्यवस्था की गई है , लेकिन 7वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1956 मे संसद को यह अधिकार है की वह दो या दो से अधिक राज्यों एवं एक संघ राज्य क्षेत्र के लिए एक साझा उच्च न्यायालय की स्थापना कर सकती है ।
उच्च न्यायलयों के न्यायधीशों की नियुक्ति
उच्च न्यायलयों के न्यायधीशों की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा राज्यपाल की परामर्श पर की जाती है । संविधान के भाग छह मे अनुच्छेद 214 से 231 तक उच्च न्यायलयों के गठन, स्वतन्त्रता, न्यायिक क्षेत्र,शक्तियाँ, प्रक्रिया, आदि के बारे मे बताया गया है ।
Article 214 = राज्यों के लिए उच्च न्यायालय
Article 215 = उच्च न्यायलय अभिलेखों के न्यायलय के रूप मे
Article 216 = उच्च न्यायलय का गठन
Article 217 = उच्च न्यायलय के न्यायधीश पद के लिए नियुक्ति तथा दशाएँ
Article 218 = उच्च न्यायलय मे उच्चतम न्यायलय से संबन्धित कतिपय प्रावधानों का लागू होना
Article 219 = उच्च न्यायलय के न्यायधीशों का शपथ ग्रहण
Article 220 = स्थायी न्यायाधीश बहाल होने के बाद प्रैक्टिस पर प्रतिबंध
Article 221 = न्यायाधीशों का वेतन इत्यादि ….
Article 222 = किसी न्यायधीश का एक उच्च न्यायलय से दूसरे उच्च न्यायलय मे स्थानांतरण
Article 223 = कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश की नियुक्ति
Article 224 = अतिरिक्त एवं कार्यवाहक न्यायधीशों की नियुक्ति
Article 224A = उच्च न्यायलयों मे सेवानिर्वित न्यायधीशों की नियुक्ति
Article 225 = उच्च न्यायलयों का क्षेत्राधिकार
Article 226 = कतिपय याचिकाएं जारी करने की उच्च न्यायलय की शक्ति
Article 226A = अनुच्छेद 226 के तहत केंद्रीय अधिनियमों की संवैधानिक वैधता पर विचार नहीं किया जाना
Article 227 = उच्च न्यायलय का सभी न्यायलयों पर अधीक्षण की शक्ति
Article 228 = उच्च न्यायलयों मे कतिपय मामलों का स्थानांतरण
Article 229 = पदाधिकारी तथा सेवक एवं उच्च न्यायलयों मे व्यय
Article 230 = उच्च न्यायलयों मे क्षेत्राधिकार संघीय क्षेत्रों तक विस्तार
Article 231 = दो या अधिक राज्यों के लिए एक साझे उच्च न्यायलय की स्थापना
Article 232 = व्यख्या (निरस्त)
source = एम. लक्ष्मीकान्त
Uttarakhand High Court
09/11/2000 को उत्तराखंड राज्य की स्थापना पूर्ववर्ती राज्य से की गई थी । राज्य के निर्माण के समय, उत्तराखंड का
उच्च न्यायालय भी उसी दिन नैनीताल में स्थापित किया गया था। उस दिन से उच्च न्यायालय मल्लीताल नैनीताल में स्थित एक पुराने भवन में कार्य कर रहा है जिसे पुराने सचिवालय के रूप में जाना जाता था । उच्च न्यायालय का भवन एक बहुत ही शानदार है और इसका निर्माण 1900 A.D में किया गया था । इमारत के सामने एक पार्क है और पृष्ठभूमि में नैनीताल की सबसे ऊंची चोटी नैना पीक है, जो इमारत को और अधिक सुरम्य बनाती है । शुरुआत में पांच कोर्ट रूम बनाए गए थे लेकिन बाद में और कोर्ट रूम जोड़े गए हैं। वर्ष 2007 में एक
विशाल मुख्य न्यायाधीश कोर्ट ब्लॉक और वकीलों के कक्षों का एक ब्लॉक भी बनाया गया है ।
