देहरादून में स्थित मंदिर
महासू देवता मंदिर (हनोल) (mahasu devta mandir) –यह मंदिर चकराता के पास हनोल गांव में टोंस नदी के पूर्वी तकट पर स्थित है। एक नहीं 4 देवता है महासू. महासू देवता के मंदिर के गर्भ गृह में भक्तों का जाना मना है। हनोल महासू देवता मंदिर का निर्माण हूण राजवंश के पंडित मिहिरकुल हूण ने करवाया था
भद्राज, ज्वाला जी मंदिर (मसूरी)– यह मंदिर, हिंदू धर्म के भगवान कृष्ण के छोटे भाई बालभद्रा को समर्पित है
संतला देवी मंदिर (Santla Devi Temple) – संतला देवी मंदिर देहरादून से लगभग 15 किमी की दूरी पर स्थित है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब संतला देवी और उनके भाई को एहसास हुआ कि वे मुगलों से लड़ने में सक्षम नहीं हैं, तो उन्होंने हथियार फेंक दिये और प्रार्थना शुरू कर दी। अचानक, एक प्रकाश उन दोनों पर चमका, और वे पत्थर की मूर्तियों में बदल गये।
टपकेश्वर मंदिर (Tapkeshwar Temple) –यह अनोखा मंदिर एक प्राकृतिक गुफा के अंदर बना हुआ है और बड़ी संख्या में भगवान शिव के भक्त यहां दर्शनों के लिए आते हैं। देहरादून से मात्र 6.5 किलोमीटर दूर यह मंदिर एक नदी के किनारे है। यहां स्थापित शिवलिंग पर पहाड़ से अनवरत टपकती पानी की बूंदें यहां का एक बड़ा आकर्षण हैं। इन्हीं टपकती पानी की बूंदों के कारण ही इस मंदिर का नाम ‘टपकेश्वर’ पड़ा है।
ज्वाला जी मंदिर (Jhanda Temple) – ज्वालाजी मंदिर मसूरी से 9 किमी की दूरी पर पश्चिम दिशा मे 2104 मीटर की ऊंचाई पर बिनोग पहाड़ी पर स्थित है ।
डाटकाली मंदिर (Datakali Temple) –उत्तराखंड की ईष्ट देवी है ‘मां डाट काली मंदिर’, नई गाड़ी पर चुनरी बंधवाने जरूर मंदिर आते हैं मां डाट काली मंदिर की स्थापना 15 जून सन 1804 को अषाढ़ माह की शुक्ल पक्ष की अष्टमी को हुई थी। तब से आज तक अषाढ़ माह में शुक्ल पक्ष की अष्टमी को मंदिर में वार्षिकोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है। घाटी में होने के कारण पहले इसे घाटकाली और सुरंग बनाने के बाद डाट काली के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर की आसपास के क्षेत्रों में खासी मान्यता है।
बुद्धा टैम्पल (Buddha Temple) – यह देहरादून के क्लेमेंट टाउन नाम के स्थान पर है, जो देहरादून के आईएसबीटी से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर है। इसकी ऊंचाई 185 वर्ग फुट और चौड़ाई 100 फुट है। इस जगह की खास बात यह है कि यहां हर साल बहुत से लामा शिक्षा ग्रहण करने आते हैं। इसके अलावा यहां तीन अन्य स्कूल सक्या, कग्यू और गेलुक हैं, जिनका तिब्बती धर्म में बहुत महत्व है।
भरत मंदिर (Bharat Mandir) – भरत मंदिर ऋषिकेश का सबसे प्राचीन मंदिर है जिसे 12 शताब्दी में आदि गुरु शंकराचार्य ने बनवाया था। आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा रखा गया श्रीयंत्र भी इस मंदिर में है । यह मन्दिर बहुत ही सुंदर है। मंदिर के अंदरूनी गर्भगृह में भगवान विष्णु की प्रतिमा एकल शालिग्राम पत्थर पर उकेरी गई है। भगवान राम के छोटे भाई भरत को समर्पित यह मंदिर त्रिवेणी घाट के निकट ओल्ड टाउन में स्थित है।
मंदिर का मूल रूप 1398 में तैमूर आक्रमण के दौरान क्षतिग्रस्त कर दिया गया था। हालांकि मंदिर की बहुत सी महत्त्वपूर्ण चीज़ों को उस हमले के बाद आज तक संरक्षित रखा गया है।
लक्ष्मण सिद्ध मंदिर (Laxman Siddha Temple) – लक्ष्मण सिद्ध मंदिर देहरादून से 12 किमी की दूरी पर हरिद्वार और ऋषिकेश के रास्ते पर स्थित है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, सेंट-स्वामी लक्ष्मण सिद्ध ने इस स्थान पर तपस्या की थी। भक्त बड़ी संख्या में लोकप्रिय लक्ष्मण सिद्ध मेले के दौरान, मंदिर जाते हैं, जो हर साल आयोजित किया जाता है।
कालू सिद्ध मंदिर (Kalu Siddha Temple) – यह मंदिर बानियावाला के पास थानो गांव से सात किमी दूर स्थित है। थानो फॉरेस्ट रेंज में मौजूद यह मंदिर कालू सिद्घ नामक संत को समर्पित है। शीतल नदी के पास स्थित यह स्थान पक्षी प्रेमियों और ट्रैकिंग करने वालों के लिए बेहतर है। आप यहां फॉरेस्ट रेस्ट हाउस में रुक सकते हैं।
मानक सिद्घ मंदिर – यह मंदिर शिमला बाईपास स्थित बडोवाला क्षेत्र में मौजूद है। यहां भी संत ने तपस्या की थी और उन्हीं के नाम पर इस मंदिर का नाम रखा गया है।
माढ़ू सिद्घ मंदिर – प्रेमनगर में स्थित यह मंदिर जंगल के बीच में स्थित है। यह सभी मंदिर छोटे हैं और एकांत में हैं, लेकिन इनकी मान्यता के कारण दूर-दूर से भक्त यहां पहुंचते हैं।
लाखामण्डल मंदिर (Lakhamandal Temple) – लाखामंडल मंदिर एक प्राचीन मंदिर है जो कि उत्तराखंड के देहरादून जिले के जौनसर-बावार क्षेत्र में स्थित है । यह मंदिर देवता भगवान शिव और देवी पार्वती को समर्पित हैं कहते हैं कि पांडवों के अज्ञातवास काल में युधिष्ठिर ने लाखामंडल स्थित लाक्षेश्वर मंदिर के प्रांगण में जिस शिवलिंग की स्थापना की थी, वह आज भी विद्यमान है।
साई बाबा मंदिर (Sai Baba Temple) – साई दरबार मंदिर देहरादून का एक प्रसिद्ध धार्मिक केंद्र है। मंदिर सभी जाति और धर्मों के लोगों के लिए खुला है, और साईं बाबा की धर्मनिरपेक्ष शिक्षाओं का प्रतीक है। यह मंदिर राजपुर रोड पर क्लॉक टॉवर से लगभग 8 किमी की दूरी पर स्थित है। मंदिर अपने सुंदर वातावरण और राजसी संगमरमर संरचना के लिए जाना जाता है।
स्वर्ग निवास मंदिर, ऋषिकेश – स्वर्ग निवास मन्दिर एक विशाल नारंगी रंग का तेरह तल वाला मन्दिर है। यह मन्दिर प्रख्यात संस्था का है जो कि गुरू कैलाश आनन्द के नेतृत्व में कार्य करता है।
