जन्म 9 जनवरी 1927 , मरोड़ा गांव , टिहरी गढ़वाल
पिता – अंबा दत्त बहुगुणा
माता – पूर्णा देवी
शिक्षा – b.a.
प्राथमिक शिक्षा के बाद वह लाहौर गए और वहीं से b.a. किया
1941 में दलित वर्ग के विद्यार्थियों के उत्थान के लिए उन्होंने टिहरी में थक्करबापा हॉस्टल की स्थापना की ।
अपनी पत्नी विमला नौटियाल के सहयोग से इन्होंने सिली आरा में पर्वतीय नवजीवन मंडल की स्थापना की ।
चिपको आंदोलन तथा पर्यावरण या आंदोलन को दिशा देने में एक महत्वपूर्ण भूमिका रही ।
इनके पर्यावरण संबंधित कार्यों से प्रवाहित होकर अमेरिका की “फ्रेंड ऑफ नेचर” संस्था ने 1980 में इनको पुरस्कृत किया ।
1981 में भारत सरकार ने उन्हें “पद्म श्री” पुरस्कार दिया लेकिन उन्होंने स्वीकार नहीं किया ।
1984 में सिंघ्वी ट्रस्ट द्वारा “राष्ट्रीय एकता” पुरस्कार से सम्मानित ।
सन 1985 में मुंबई की वृक्ष मित्र संस्था ने वृक्ष मानव पुरस्कार प्रदान किया ।
रचनात्मक कार्यों के लिए 1986 में “जमनालाल बजाज” पुरस्कार ।
चिपको आंदोलन हेतु 1987 में “राइट लाइवलीहुड”” पुरस्कार ।
1987 में “शेर ए कश्मीर पुरस्कार”
1987 में सरस्वती सम्मान ।
1989 में विज्ञान के डॉक्टर की मानद उपाधि आईआईटी रुड़की के द्वारा ।
1998 में पहल सम्मान ।
1998 में गांधी सेवा सम्मान ।
सन 2009 में पदम विभूषण से सम्मानित ।
पर्यावरण के प्रति उनका समर्पण देखते हुए इन्हें “पर्यावरण गांधी” की उपाधि दी जाती है ।
चिपको आंदोलन के कारण यह विश्व भर में “वृक्ष मित्र” के नाम से प्रसिद्ध है ।
21 मई, 2021 को बहुगुणा जी का निधन हो गया।
पिता – अंबा दत्त बहुगुणा
माता – पूर्णा देवी
शिक्षा – b.a.
प्राथमिक शिक्षा के बाद वह लाहौर गए और वहीं से b.a. किया
1941 में दलित वर्ग के विद्यार्थियों के उत्थान के लिए उन्होंने टिहरी में थक्करबापा हॉस्टल की स्थापना की ।
अपनी पत्नी विमला नौटियाल के सहयोग से इन्होंने सिली आरा में पर्वतीय नवजीवन मंडल की स्थापना की ।
चिपको आंदोलन तथा पर्यावरण या आंदोलन को दिशा देने में एक महत्वपूर्ण भूमिका रही ।
इनके पर्यावरण संबंधित कार्यों से प्रवाहित होकर अमेरिका की “फ्रेंड ऑफ नेचर” संस्था ने 1980 में इनको पुरस्कृत किया ।
1981 में भारत सरकार ने उन्हें “पद्म श्री” पुरस्कार दिया लेकिन उन्होंने स्वीकार नहीं किया ।
1984 में सिंघ्वी ट्रस्ट द्वारा “राष्ट्रीय एकता” पुरस्कार से सम्मानित ।
सन 1985 में मुंबई की वृक्ष मित्र संस्था ने वृक्ष मानव पुरस्कार प्रदान किया ।
रचनात्मक कार्यों के लिए 1986 में “जमनालाल बजाज” पुरस्कार ।
चिपको आंदोलन हेतु 1987 में “राइट लाइवलीहुड”” पुरस्कार ।
1987 में “शेर ए कश्मीर पुरस्कार”
1987 में सरस्वती सम्मान ।
1989 में विज्ञान के डॉक्टर की मानद उपाधि आईआईटी रुड़की के द्वारा ।
1998 में पहल सम्मान ।
1998 में गांधी सेवा सम्मान ।
सन 2009 में पदम विभूषण से सम्मानित ।
पर्यावरण के प्रति उनका समर्पण देखते हुए इन्हें “पर्यावरण गांधी” की उपाधि दी जाती है ।
चिपको आंदोलन के कारण यह विश्व भर में “वृक्ष मित्र” के नाम से प्रसिद्ध है ।
21 मई, 2021 को बहुगुणा जी का निधन हो गया।