जन्म 17 अक्टूबर 1881
जन्मस्थान – अर्कण्डर्ड गांव (पौड़ी गढ़वाल)
स्वामी श्रद्धानंद से भेंट के पश्चात इन्होंने आर्य समाज का अनुसरण किया ।
आर्य समाज से जुड़ने के बाद इन्होंने अपने नाम के आगे “पाथिक” शब्द जोड़ा था ।
गढ़वाल क्षेत्र में छुआछूत और डोला पालकी कुप्रथाओं को समाप्त करने के लिए उन्होंने लंबा संघर्ष किया ।
28 अगस्त 1930 को इन्होंने राजकीय इंटर कॉलेज जहरी खाल में तिरंगा फहराया था ।
6 सितंबर 1932 में घटित ऐतिहासिक पौड़ी कांड से संबंध रहे । ( अमन सभा व गवर्नर मैलकम का बहिष्कार )
प्रशासन के सहयोग से नवंबर 1930 में लैंसडाउन बनी “अमन सभा” की स्थापना की गई थीं । जिसका उद्देश्य कांग्रेस का प्रतिपक्ष खड़ा कर छावनी को राष्ट्रवादी आंदोलन से बचाना था । अमन सभा में राय साहब, राय बहादुर अनेक वकील , पेंशनर , ठेकेदार , ठोकदार शामिल थे ।
निधन
अंतिम दिनों में गंभीर रोग से ग्रस्त जयानंद भारती ने अपने ग्राम अरकंडाई में 71 वर्ष की आयु में 9 सितंबर 1952 को आखिरी सांस ली ।
जन्मस्थान – अर्कण्डर्ड गांव (पौड़ी गढ़वाल)
स्वामी श्रद्धानंद से भेंट के पश्चात इन्होंने आर्य समाज का अनुसरण किया ।
आर्य समाज से जुड़ने के बाद इन्होंने अपने नाम के आगे “पाथिक” शब्द जोड़ा था ।
गढ़वाल क्षेत्र में छुआछूत और डोला पालकी कुप्रथाओं को समाप्त करने के लिए उन्होंने लंबा संघर्ष किया ।
28 अगस्त 1930 को इन्होंने राजकीय इंटर कॉलेज जहरी खाल में तिरंगा फहराया था ।
6 सितंबर 1932 में घटित ऐतिहासिक पौड़ी कांड से संबंध रहे । ( अमन सभा व गवर्नर मैलकम का बहिष्कार )
प्रशासन के सहयोग से नवंबर 1930 में लैंसडाउन बनी “अमन सभा” की स्थापना की गई थीं । जिसका उद्देश्य कांग्रेस का प्रतिपक्ष खड़ा कर छावनी को राष्ट्रवादी आंदोलन से बचाना था । अमन सभा में राय साहब, राय बहादुर अनेक वकील , पेंशनर , ठेकेदार , ठोकदार शामिल थे ।
निधन
अंतिम दिनों में गंभीर रोग से ग्रस्त जयानंद भारती ने अपने ग्राम अरकंडाई में 71 वर्ष की आयु में 9 सितंबर 1952 को आखिरी सांस ली ।