रम्माण मूल रूप से चमोली जनपद के सीमान्त जोशीमठ ब्लॉक के सलुड़- डुंग्रा में

मनाया जाने वाला कौथीग या उत्सव है । 2 अक्टूबर , 2009 को यूनेस्को ने इस उत्सव को सांस्कृतिक श्रेणी में

विश्व धरोहर घोषित किया । इस अवसर पर आईपीएस के दो सदस्य दल में शामिल जापानी मूल के

होसिनो हिरोसी तथा यूमिको ने पैनखण्डा पट्टी के सलुड़ गांव में जाकर यूनेस्को की ओर से प्रमाण पत्र सौंपा ।

रम्माण सलुड़ गांव में प्रतिवर्ष अप्रैल में आयोजित होने वाला उत्सव है ।

इस गांव के अलावा डुंग्री, बरोशी और सेलंग गाँवो में भी रम्माण का आयोजन किया जाता है ।

इनमें सलुड़ गांव का रम्माण अधिक लोकप्रिय है । इसका आयोजन सलूड़-डुंग्रा की संयुक्त पंचायत करती है ।

रम्माण मेला कभी 11 दिन तो कभी 13 दिन तक भी मनाया जाता है ।

यह विविध कार्यक्रमों, पूजा और अनुष्ठानों की एक श्रृंखला है ।

इसमें सामूहिक पूजा, देवयात्रा, लोकनाटय, नृत्य, गायन आदि विविध रंगी आयोजन होते हैं ।

इस में परम्परागत पूजा-अनुष्ठान तथा मनोरंजक कार्यक्रम भी आयोजित होते हैं ।

कुम्भ पर्व और उत्तराखण्ड

विश्व का एक ऐसा धार्मिक पर्व जिसमें स्नान करने के लिए जाति, पंथ या लिंग से इतर सर्वाधिक श्रद्धालु

एकत्रित होते हैं । गंगा द्वार हरिद्वार में हर 12वें वर्ष महाकुम्भ का आयोजन होता है ।

ज्योतिषीय गणना के अनुसार जब बृहस्पति कुम्भ राशि में होता है और सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है,

तब हरिद्वार में महाकुम्भ होता है । महाकुम्भ के छह वर्ष बाद हरिद्वार में अर्द्धकुम्भ भी होता है ।

हरिद्वार में वर्ष 2010 में महाकुम्भ और वर्ष 2016 में अर्द्धकुम्भ हुआ ।

7 दिसम्बर 2017 को यूनेस्को द्वारा कुम्भ पर्व को ‘मानवता की अमुर्त सांस्कृतिक धरोहर‘ की

श्रेणी में शामिल किया गया ।