आजाद हिंद फौज में उत्तराखंड का योगदान

उत्तराखंड के निवासियों का सर्वाधिक योगदान नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वारा भारत की स्वतंत्रता के लिये गठित आजाद हिंद फौज में रहा था। चंद्र सिंह नेगी को आजाद हिंद फौज

उत्तराखंड में भारत छोड़ो आंदोलन

अगस्त 1942 में उत्तराखंड में जगह जगह हड़तालें व प्रदर्शन हुये थे । 1942 के आंदोलन का सर्वप्रथम प्रभाव अल्मोंड़ा शहर पर पड़ा जहां विधार्थियों ने पुलिस पर पत्थरों से

उत्तराखण्ड में गोरखों की कर नीति

चंद राजाओं ने छत्तीस रकम व बत्तीस कलम वाले अनेक कर लगाये। जिसका उन्मूलन गोरखों ने किया और नए कर लगाये। गोरखों ने ब्राह्मणों पर कुसही नाम का कर लगाया।

कुमाऊँनी लोकोक्तियाँ | kumauni Lokoktiyan

कुमाऊँनी लोकोक्तियाँ | kumauni Lokoktiyan अकलक उमरक भेंट न हनू । बुद्धि और आयु एक साथ नहीं आते । आयु बीतने पर ही बात समझ में आती है । अदमरी

उत्तराखंड की लोकभाषाएं – गढ़वाली

कुमाऊँनी बोली के साथ-साथ गढ़वाली भी दरद/खस प्राकृत से प्रभावित है, किन्तु कतिपय भाषाशास्त्री इसकी मूल उत्पति शुद्ध शौरसेनी से मानते हैं । मैक्समूलर ने अपनी पुस्तक ‘साइंस ऑफ लेंगवेज़’

उत्तराखंड की लोकभाषाएं – कुमाऊँनी

उत्तराखंड की भाषा , जिसे प्रसिद्ध भाषाशास्त्री ,पाश्चात्य विद्वान सर जॉर्ज ग्रियर्सन ने ‘मध्य पहाड़ी भाषा’ नाम से संबोधित किया, आदि प्राकृत , वैदिक एवं संस्कृत के अति निकट है

कमल नदी

उत्तराखण्ड के सीमान्त जनपद उत्तरकाशी के पुरोला विकासखण्ड में बहने वाली कमल नदी का अपना अलग ही महत्त्व है। स्थानीय लोग इस नदी को ‘कमोल्ड’ नाम से जानते हैं। कमल

मनेरी डैम

11 मई, 2022 को भागीरथी नदी का जलस्तर बढ़ने बढ़ने के कारण वैकल्पिक मार्ग बह जाने से मनेरी डैम के पास एक टापू पर 7 मज़दूर फंस गए हैं, जिन्हें

जौनसारी

जौनसारी राज्य का दूसरा बड़ा जनजातीय समूह है  . यह गढ़वाल क्षेत्र का सबसे बड़ा जनजातीय समूह है . यह जनजाति मुख्यतः लघु हिमालय के उत्तरी पश्चिमी भाग का भाबर

उत्तराखंड में चाय का इतिहास

उत्तराखंड में चाय की खेती सर्वप्रथम विशप हेबर ने 1824 में की . चाय कमेटी का गठन वेंश्टिंग द्वारा सन 1834 में हुआ . अल्मोड़ा के लक्षेश्वर व भीमताल के