केंद्र और प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेश दोनों में एक उपयुक्त संस्थागत तंत्र प्रदान करने का प्रयास करता है, ताकि
वन भूमि के बदले जारी की गई राशि के कुशल और पारदर्शी तरीके से शीघ्र उपयोग सुनिश्चित किया जा सके ।
उत्तराखंड मे Campa योजना कितना प्रभावी ?
विषम भूगोल और 71.05 फीसद वन भूभाग वाले उत्तराखंड में विभिन्न योजनाओं, परियोजनाओं के लिए
आवंटित की जाने वाली भूमि के एवज में क्षतिपूरक वनीकरण में कैंपा की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका है ।
इसके अलावा मानव-वन्यजीव संघर्ष की रोकथाम, वन विभाग के माध्यम से स्थानीय समुदाय को रोजगार समेत अन्य कार्यों में भी कैंपा का योगदान किसी से छिपा नहीं है ।
यही वजह है कि चालू वित्तीय वर्ष में उत्तराखंड में कैंपा के लिए नियत बजट में बढ़ोतरी की गई ।
वित्तीय वर्ष 2021-22 में कैंपा के तहत होने वाले कार्यों के मद्देनजर 950 करोड़ की वार्षिक कार्ययोजना तैयार की गई है ।
Campa योजना का प्रारम्भ
2002 में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने देखा कि वनीकरण के लिए एकत्रित धन का राज्यों द्वारा कम उपयोग किया गया था और इसने प्रतिपूरक वनीकरण कोष के तहत धन के केंद्र में पूलिंग का आदेश दिया था ।
अदालत ने फंड के प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय प्रतिपूरक वनीकरण कोष प्रबंधन और योजना प्राधिकरण (नेशनल कैम्पा) की स्थापना की थी ।
2009 में, राज्यों ने राज्य CAMPAs भी स्थापित किए थे जो वनीकरण और वन संरक्षण के लिए उपयोग करने के लिए राष्ट्रीय CAMPA से 10% धन प्राप्त करते हैं ।
हालांकि, 2013 में, सीएजी की एक रिपोर्ट ने पहचान की कि धन का कम उपयोग किया जा रहा है ।
एकत्रित धन को विनियमित करने के लिए 8 मई, 2015 को लोकसभा में सरकार द्वारा प्रतिपूरक वनीकरण कोष अधिनियम 2015 पेश किया गया था ।
अधिनियम को एक स्थायी समिति के तहत जांच के लिए भेजा गया था ।
इसे राज्यसभा ने 28 जुलाई 2016 को पारित किया था ।