उत्तराखंड के वन विभाग ने पिथौरागढ़ जिले में कुमाऊँ के मुनस्यारी में भारत का पहला ‘Lichen Park’  विकसित किया है। लाइकेन हिमालय में 5000 मीटर तक की ऊँचाई पर उगने वाली एक महत्वपूर्ण प्रजातियों में से हैं, क्योंकि ये प्रदूषण के स्तर के सबसे अच्छे जैवइंडाइटर माने जाते हैं।

उत्तराखंड फॉरेस्ट डिपार्टमेंट ने जून 2020 मे घोषणा की थी कुमाऊँ के पिथौरागढ़ जिले में मुनस्यारी मे Lichen Park विकसित किया जाएगा और यह भारत का पहला lichen Park होगा । यह पार्क 1.5 एकड़ मे फैला है इसका काम 2019 मे शुरू हो गया था । इस पार्क को आम जनता और researchers के लिए उपलब्ध करवाने के लिए वन विभाग ने उत्तराखंड सरकार को प्रस्ताव भेज दिया है अब कुछ दिनो मे यह पार्क open हो जाएगा ।

इस परियोजना का उद्देश्य विभिन्न लाइकेन प्रजातियों के वितरण, उनके निवास, उनके रूपात्मक और शारीरिक पहलुओं, सर्वेक्षण और साहित्य की समीक्षा, प्रजातियों का संस्थापन, मानव जाति और जलवायु कारकों सहित उनके रहने के स्थान पर होने वाले वर्तमान खतरों का अध्ययन करना और उपयुक्त संरक्षण रणनीतियों को तैयार करना है। इन जुरासिक-युग लाइकेन प्रजातियों का इस्तेमाल भोजन, इत्र, रंजक और पारंपरिक दवाओं में किया जाता है।

क्या है लाइकेन?

यह एक मिश्रित प्रकार का जीव है , यह दो अलग अलग organisms से मिलकर बना है –

1) fungus

2) An Algae or Cyanobacteria

lichen की हजारो species हो सकती हैं  । दुनिया भर मे lichen की 20,000 प्रजातियाँ उपलब्ध हैं , जिनमे से भारत मे 2,714 प्रजातियाँ उपलब्ध हैं 

भारत मे उत्तराखंड मे सबसे ज्यादा lichen की 600 प्रजातियाँ उसके बाद हिमाचल प्रदेश मे 503 और जम्मू कश्मीर मे 386 प्रजातियाँ उपलब्ध हैं ।

पिथौरागढ़ के मुंस्यारी मे 150 प्रजातियाँ मिलती है जो कि उत्तराखंड मे सबसे ज्यादा है । यही कारण है कि मुंस्यारी को lichen पार्क के लिए चुना गया ।

कवक (लाइकेन) एक प्रकार की वनस्‍पति है, जो यह पेड़ों के तनों, दीवारों, चट्टानों और मिट्टी पर पनपता है। ये कई रंगों, आकारों और रूपों में पाए जाते हैं। ये कभी-कभी पौधे की तरह दिखाई पड़ते हैं लेकिन लाइकेन पौधे नहीं होते हैं। लाइकेन का आकर में छोटी, पत्ती रहित शाखाएं, फ्लैट पत्ती जैसी हो सकती हैं।

ये पृथ्वी पर मौजूद सबसे पुरानी जीवित चीजों में से एक हैं, यह कई स्थानों पर पनपते, जिनमें कुछ बेहद चरम स्थान आर्कटिक, टुंड्रा, गर्म शुष्क रेगिस्तान चट्टानी तटों, विषाक्त ढेर, छतें, नंगे चट्टानें, दीवारें, उजागर मिट्टी की सतह हैं जहां यह आसानी से पाए जाते है।

Lichen Bio Indicator कि तरह काम करते हैं , अर्थात अगर पर्यावरण मे कुछ भी परिवर्तन होने पर lichen grow करना बंद हो जाता है । Lichen से पर्यावरण के बदलाव का पता चल जाता है । जहां पर air pollution ज्यादा होता है वहाँ पर Lichen नही उगती है इसी वजह से lichen शहरों मे नही उगती ।