शासकीय पत्र आलेखन का वह औपचारिक प्रारूप होता है जिसमें किसी शासकीय पद से

किसी अन्य शासकीय पद को द्विआयामी रूप से किसी शासकीय नीति, निर्णय, आदेश, निर्देश

के परिपेक्ष्य में पत्र व्यवहार किया जाता है ।

शासकीय पत्र की विशेषता :

उद्गम : शासकीय पत्र का उद्गम सदैव किसी शासकीय पद से होता है ।

गंतव्य : तथा शासकीय पत्र का गंतव्य भी सदैव शासकीय पद को ही होता है ।

संचालन : शासकीय पत्र सदैव द्विआयामी होता है, यह पत्र वरिष्ठ से कनिष्ठ , कनिष्ठ से वरिष्ठ या

समकक्ष पद के बीच संपादित किया जाता है ।

विषय-वस्तु : शासकीय पत्र की विषय वस्तु शासकीय नीति, निर्णय, आदेश तथा निर्देश के संबन्धित होती है ।

भाषा : शासकीय पत्र की भाषा सदैव औपचारिक होती है । अतः पत्र में कृपया, कष्ट, अनुरोध, निवेदन, आग्रह

जैसे शब्दों का प्रयोग नहीं किया जाता है ।

शैली : इस पत्र की शैली अन्य पुरुष होती है तथा यह पत्र तटस्थ भाव से लिखा जाता है ।

शासकीय पत्र का महत्व :

1 ) इस पत्र के माध्यम के शासकीय कार्य व्यवहार नीति, निर्णय, आदेश अथवा निर्देशों के परिपेक्ष्य में पत्र व्यवहार किया जाता है ।

2 ) पदीय दायित्वों का निर्वहन करने के लिए अधिकारी गण इस पत्र का उपयोग करते हैं ।

3 ) यह पत्र सदैव अभिलेख के रूप में होता है । इस पत्र को सरंक्षित किया जा सकता है जिसके माध्यम के अतीत के निर्णय का अवलोकन, वर्तमान कार्य का सम्पादन तथा भविष्य के लिए गाइडलाइन को तैयार किया जा सकता है ।

4 ) इस पत्र के माध्यम के अधिकारियों की जवाबदेही तय की जा सकती है ।

5 ) शासकीय पत्र को अभिलेख रूप में सरंक्षित करने के साथ अनिवार्य रूप से गज़ट मे प्रकाशित किया जाता है ।

6 ) सूचितापूर्ण शासन के लिए इस पत्र का प्रयोग किया जाता है ।

7 ) यह पत्र न्यायालय मे बतौर न्यायिक साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है ।

शासकीय पत्र का प्रारूप