जन्म – 20 मई 1900
जन्म – स्थान ग्राम कौसनी, वर्तमान बागेश्वर
इन के बचपन का नाम गोसाईं दत्त था ।
कौसानी में लोग इन्हें गुसै अथवा सैं के नाम से पुकारते थे
सुमित्रानंदन पंत के जन्म के मात्र छ घंटे के भीतर ही उनकी मां का देहांत हो गया और उनका पालन-पोषण दादी के हाथों हुआ
।
यह उच्च शिक्षा इलाहाबाद से प्राप्त किए और लगभग 10 वर्ष ही रहे ।
“बीणा एवम पल्लव “ की अधिकांश रचनाएं यही की ।
इन्हीं के सुझाव पर “ऑल इंडिया रेडियो” का नाम “आकाशवाणी ” किया गया ।
उनके जीवन का अधिकांश समय कालाकांकर बीता ।
वहां के कुंवर सुरेश सिंह के आग्रह पर उन्होंने वर्ष 1938 में रुपाभ नामक प्रगतिशील मासिक पत्रिका का संपादन किया ।
पंत की प्रकृति ने वैचारिक सुकुमारता तथा सौंदर्य दृष्टि दी ।
काव्य क्षेत्र में उनका प्रवेश 18 वर्ष की आयु में हो गया था । सूर्यकांत त्रिपाठी निराला तथा महादेवी वर्मा के समक्ष एक छायावादी कवि थे ।
उनकी महत्वपूर्ण रचनाओं में उच्छ्वास, ज्योत्सना, पल्लव, स्वर्णधूलि, वीणा, युगांत, गुंजन, ग्रंथि, मेघनाद वध (कविता संग्रह), ग्राम्या, मानसी, हार (उपन्यास), युगवाणी, स्वर्णकिरण, युगांतर, काला और बूढ़ा चाँद, अतिमा, उत्तरा, लोकायतन, मुक्ति यज्ञ, अवगुंठित, युग पथ, सत्यकाम, शिल्पी, सौवर्ण, चिदम्बरा, पतझड़, रजतशिखर, तारापथ, आदि शामिल हैं।
1961 में भारत के सर्वश्रेष्ठ सम्मान “पदमभूषण” से सम्मानित किया गया। इसके अलावा साल 1968 में उन्हें “चिदम्बरा” के लिए प्रथम “ज्ञानपीठ पुरस्कार” से भी नवाजा जा चुका है।
सुमित्रानंदन पंत की 77 वर्ष की आयु में उनकी मृत्यु 28 दिसम्बर, 1977 को इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश में हुई ।
जन्म – स्थान ग्राम कौसनी, वर्तमान बागेश्वर
इन के बचपन का नाम गोसाईं दत्त था ।
कौसानी में लोग इन्हें गुसै अथवा सैं के नाम से पुकारते थे
सुमित्रानंदन पंत के जन्म के मात्र छ घंटे के भीतर ही उनकी मां का देहांत हो गया और उनका पालन-पोषण दादी के हाथों हुआ
।
यह उच्च शिक्षा इलाहाबाद से प्राप्त किए और लगभग 10 वर्ष ही रहे ।
“बीणा एवम पल्लव “ की अधिकांश रचनाएं यही की ।
इन्हीं के सुझाव पर “ऑल इंडिया रेडियो” का नाम “आकाशवाणी ” किया गया ।
उनके जीवन का अधिकांश समय कालाकांकर बीता ।
वहां के कुंवर सुरेश सिंह के आग्रह पर उन्होंने वर्ष 1938 में रुपाभ नामक प्रगतिशील मासिक पत्रिका का संपादन किया ।
पंत की प्रकृति ने वैचारिक सुकुमारता तथा सौंदर्य दृष्टि दी ।
काव्य क्षेत्र में उनका प्रवेश 18 वर्ष की आयु में हो गया था । सूर्यकांत त्रिपाठी निराला तथा महादेवी वर्मा के समक्ष एक छायावादी कवि थे ।
उनकी महत्वपूर्ण रचनाओं में उच्छ्वास, ज्योत्सना, पल्लव, स्वर्णधूलि, वीणा, युगांत, गुंजन, ग्रंथि, मेघनाद वध (कविता संग्रह), ग्राम्या, मानसी, हार (उपन्यास), युगवाणी, स्वर्णकिरण, युगांतर, काला और बूढ़ा चाँद, अतिमा, उत्तरा, लोकायतन, मुक्ति यज्ञ, अवगुंठित, युग पथ, सत्यकाम, शिल्पी, सौवर्ण, चिदम्बरा, पतझड़, रजतशिखर, तारापथ, आदि शामिल हैं।
1961 में भारत के सर्वश्रेष्ठ सम्मान “पदमभूषण” से सम्मानित किया गया। इसके अलावा साल 1968 में उन्हें “चिदम्बरा” के लिए प्रथम “ज्ञानपीठ पुरस्कार” से भी नवाजा जा चुका है।
सुमित्रानंदन पंत की 77 वर्ष की आयु में उनकी मृत्यु 28 दिसम्बर, 1977 को इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश में हुई ।
