जन्म -1 फरवरी 1896 स्थान अल्मोडा
पिता – जयदत्त जोशी
शिक्षा – बी.ए .
बचपन मे ही “किरिश्चन फ्रेंड एसोसियेशन” की स्थापना एवं “क्रिश्चियन यंग पीपल सोसाइटी” की स्थापना ।
विक्टर गांधीवादी विचारधारा से अत्यंत प्रेरित थे ।
1916 में कुमाऊ परिषद की स्थापना में मोहन जोशी की अहम भूमिका रही ।
1921 में “शक्ति पत्रिका” का संपादन भी किया था ।
इनको 1925 में अल्मोड़ा जिला बोर्ड का अध्यक्ष बनाया  गया था अल्मोड़ा जिला बोर्ड के अध्यक्ष पद पर रहकर इन्होंने एक अच्छा महत्वपूर्ण काम किया जिसमें खाद्य विभाग और काष्ठ कला विभाग की स्थापना की ।
इसके बाद इन्होंने स्वराज मंदिर की स्थापना की और 22 जून 1929 को विक्टर मोहन जोशी ने गांधी जी के हाथों इस स्वराज मंदिर का शिलान्यास किया था ।
गांधीजी ने अपनी पुस्तक “यंग इंडिया” में मोहन जोशी को ईसाई समाज का उत्कृष्ट पुष्प कहकर संबोधित किया ।
1930 में मोहन जोशी ने स्वाधीन प्रजा नामक पत्रिका को प्रारंभ किया गया ।
इस पत्रिका में जोशी जी ने अछूतों के प्रति अपना इशनेह  ही भाव व्यक्त किया था ।
फलस्वरूप गांधी जी ने जोशी जी को दरिद्र नारयणो का सेवक एवं असहयोग का श्रेष्ठटम सैनिक की उपाधि दी थी ।
1930 मैं इन्होंने झंडा सत्याग्रह का नेतृत्व किया था जब यह आंदोलन चल रहा था गांधीवादी विचारधारा के यह थे तो इस दौरान कहा जाता है कि पुलिस की लाठी चार्ज होने पर इनके रीढ़ की हड्डी में गंभीर चोटें आई थी ।
1931 के उत्तरायण मेले में विदेशी कपड़ों की होली जलाई थी फल स्वरुप गिरफ्तार हुए ।
झंडा सत्याग्रह की घटना के पश्चात जोशी जी का मानसिक संतुलन धीरे-धीरे बिगड़ने लगा 4 अक्टूबर 1940 को वह पंचतत्व में विलीन हो गए ।
पंडित नेहरू ने जोशी जी को असहयोग का वीर सैनिक कहा था ।
विक्टर मोहन जोशी को उत्तराखंड में देशभक्त उपनाम से जाना जाता है ।
विक्टर मोहन जोशी ने हरि गोविंद पंत जी को जननायक कहा था ।
अल्मोड़ा जनपद का राजकीय महिला अस्पताल इन्हीं के नाम पर है ।
अल्मोड़ा के नारायण तिवारी देवाल क्षेत्र में जोशी जी का समाधि स्थल है ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *