विवर्तनिकी प्लेटों के किनारो के प्रकार
प्लेटों के किनारे ही भूगर्भिक क्रियाओं के दृष्टिकोण से सर्वाधिक महत्वपूर्ण होते हैं क्योंकि इन्ही किनारों के सहारे भूकंपीय, ज्वालामुखीय तथा विवर्तनिक घटनाएँ घटित होती हैं । सामान्य रूप से
प्लेटों के किनारे ही भूगर्भिक क्रियाओं के दृष्टिकोण से सर्वाधिक महत्वपूर्ण होते हैं क्योंकि इन्ही किनारों के सहारे भूकंपीय, ज्वालामुखीय तथा विवर्तनिक घटनाएँ घटित होती हैं । सामान्य रूप से
यह सिद्धान्त वेगनर के महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धान्त का विकास माना जाता है । पुराचुम्बकत्व व सागर-नितल-प्रसरण के प्रमाणों से यह स्पष्ट हो गया था कि महाद्वीप ही नहीं वरन महासागरीय
नैनीताल के मुक्तेश्वर नामक स्थान पर स्थित इस प्रयोगशाला को भारत में पशु चिकित्सा विज्ञान का मक्का कहा जाता है । सर्वप्रथम डॉ एल्फ्रेड लिंगार्ड के प्रयासों से 1893 में
Question> 1 : “इमली के पात पर बारात का डेरा” लोकोक्ति का उपयुक्त अर्थ है- (A) कमाल दिखाना (B) साधन थोड़े, बातें बड़ी (C) असंभव बात (D) अत्यंत कंजूस होना
तृतीय कल्प प्रारभ होने से पूर्व (7 करोड़ वर्ष) हिमालय के स्थान पर एक लंबा एवं संकरा जलमग्न क्षेत्र (टेथिस सागर) था । जिसे उत्तर में व दक्षिण में क्रमश:
कोविड-19 महामारी ने अर्थव्यवस्था के लगभग प्रत्येक क्षेत्र के लिए ही “जीवन बीमा आजीविका” की दुविधा उत्पन्न की है । प्रवासी श्रमिक समाज के उन सबसे कमजोर वर्गों में से
बैजनाथ को प्राचीन काल में बैजनाथ-कार्तिकेयपुर भी कहा जाता था । कत्यूरी घाटी में स्थित, कौसानी से 19 किमी दूर और बागेश्वर से 26 किलोमीटर दूर, यह छोटा लेकिन प्राचीन
प्रसिद्ध जर्मन विद्वान अल्फ्रेड वेगनर ने 1912 में यह सिद्धान्त प्रस्तुत किया । उन्होने पाया कि वर्तमान महाद्वीपों को मिलाकर एक भौगोलिक एकरूपता दी जा सकती है । उन्होने इसे
भारतीय सर्वेक्षण विभाग की स्थापना 1767 में बंगाल में भू कर तथा अन्य सर्वेक्षण के लिए की गई । सन 1942 में द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान इसे देहरादून में स्थानांतरित
Question> 1 : बुरुंश कुमाऊनी कविता किस कवि की रचना है – (A) डॉ रमेश चंद्र (B) गिरीश तिवाड़ी गिर्दा (C) सुमित्रानंदन पंत (D) डॉ मुरली मनोहर जोशी : सुमित्रानंदन