नागटिब्बा मंदिर (Nagtibba Temple) 

नागटिब्बा में नागराजा का प्राचीन मंदिर है, जो क्षेत्र के लोगों की आस्था का केंद्र है।

इसी निमित्त यहां हर साल जून में धार्मिक और पर्यटन मेले का आयोजन होता है।

नाग देवता का स्थान होने के कारण ही इसका नाम नागटिब्बा पड़ा।

चन्द्रबदनी मंदिर (Chandrabdani Temple)

  मां चन्द्रबदनी का मंदिर। कहा जाता है कि जगत गुरु शंकराचार्य ने श्रीयंत्र से प्रभावित होकर चन्द्रकूट पर्वत पर चन्द्रबदनी शक्ति पीठ की स्थापना की थी।

इस देवस्थल की एक खास बात है।

कहा जाता है कि इस मंदिर में देवी चन्द्रबदनी की मूर्ति नहीं है।

यहां सिर्फ देवी का श्रीयंत्र पूजा जाता है। कहा जाता है कि इस मंदिर गर्भ गृह में एक शिला पर ही श्रीयंत्र बना है।

सुरकुण्डा देवी मंदिर (Surkunda Devi Temple)

 सुरकंडा पहाड़ी टिहरी जनपद के पश्चिमी भाग में 2750 मीटर की ऊंचाई पर सुरकंडा मंदिर के लिए प्रसिद्ध है ।

यह मसूरी चंबा मोटर मार्ग पर पर्यटन स्थल धनोल्टी से 8 कि०मी० की दूरी पर

तथा नरेन्द्र नगर से लगभग 61 कि०मी० की दूरी पर स्थित है ।

कुजांपुरी देवी मंदिर (Kujampuri Devi Temple) 

कुंजापुरी नाम एक शिखर पर स्थित मंदिर को दिया गया है जो समुद्र तल से 1676 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है ।

कुंजापुरी मंदिर एक पौराणिक एवं पवित्र सिद्ध पीठ के रूप में विख्यात है ।

यह स्थल केवल देवी देवताओं से संबंधित कहानी के कारण ही नहीं बल्कि यहाँ से गढ़वाल की हिमालयी चोटियों के विशाल दृश्य के लिए भी प्रसिद्ध है ।

कुंजापुरी देवी दुर्गा का मंदिर है, यह शिवालिक रेंज में तेरह शक्ति पीठों में से एक है

और जगदगुरु शंकराचार्य द्वारा टिहरी जिले में स्थापित तीन शक्ति पीठों में से एक है।

जिले के अन्य दो शक्ति पीठो में एक सुरकंडा देवी का मंदिर और चन्द्रबदनी देवी का मंदिर हैं।

कुंजापुरी, इन दोनों पीठों के साथ एक पवित्र त्रिकोण बनाता हैं।

सेम नाग राज मंदिर (Sem Nag Raj Temple) 

सेममुखेम नागराज उत्तराखण्ड के टिहरी गढ़वाल जिला में स्थित एक प्रसिद्ध नागतीर्थ है।

श्रद्धालुओं में यह सेम नागराजा के नाम से प्रसिद्ध है।

मन्दिर का सुन्दर द्वार १४ फुट चौड़ा तथा २७ फुट ऊँचा है।

इसमें नागराज फन फैलाये हैं और भगवान कृष्ण नागराज के फन के ऊपर वंशी की धुन में लीन हैं।

मन्दिर में प्रवेश के बाद नागराजा के दर्शन होते हैं।

मन्दिर के गर्भगृह में नागराजा की स्वयं भू-शिला है। ये शिला द्वापर युग की बतायी जाती है।

रथी देवता मंदिर (Rathi Devta Temple) 

रथी देवता का मेला हर साल 19 अप्रैल को लगता है।

इसमें भारी भीड़ जुटती है, श्री रथी देवता (धन सिंह अधिकारी) मंदिर सेवा समिति का गठन सन् 1995 में किया गया था

बूढ़ा केदार मंदिर (Budha Kedar Temple)

 बूढ़ाकेदार टिहरी जनपद का प्रसिद्ध धाम है।

दो नदियों बालगंगा व धर्म गंगा के मध्य यह धाम स्थित है।

यहां पर दोनों नदियों का संगम भी है।

पूर्व में केदारनाथ पैदल यात्रा का यह मुख्य पड़ाव था उस समय बूढ़ाकेदार धाम के दर्शन किए बिना केदारनाथ की यात्रा अधूरी मानी जाती थी।

बूढ़ा केदारनाथ के नाम से ही इस गांव का नाम भी बूढ़ाकेदार पड़ा जो धार्मिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है।

श्री रघुनाथ जी मंदिर टिहरी गढ़वाल

 रघुनाथजी मंदिर उत्तराखंड के टिहरी जिले के देवप्रयाग शहर में स्थित है ।

देवप्रयाग का यह मंदिर हिंदुओं का पवित्र धार्मिक स्थान है ।

यह मंदिर भगवान राम (भगवान विष्णु के अवतार) के लिए समर्पित है , यह 108 दिव्यदेशों में से एक है , जो भगवान विष्णु को समर्पित है ।

इस मंदिर में भक्त भगवान को “रघुनाथ जी” के रूप में पूजा एवम् अर्चना करते  थे ।

राजा जगत सिंह ने पाप से छुटकारा पाने के लिए भगवान राम के मंदिर का निर्माण किया था । 1835 में जम्मू और कश्मीर साम्राज्य के संस्थापक महाराजा गुलाब सिंह ने मंदिर की वर्तमान संरचना का निर्माण कार्य आरंभ किया और महाराजा गुलाब सिंह के पुत्र महाराजा रणबीर सिंह ने 1860 में इस मंदिर के निर्माण कार्य को पूरा किया ।

ओनेश्रवर महादेव 

ओणेश्वर महादेव मंदिर जनपद टिहरी गढ़वाल के विकासखंड प्रताप नगर के पट्टी ओण के मध्य

स्थित ग्राम पंचायत देवाल में स्थित प्राचीन एवम् धार्मिक मंदिर  है ।

ओणेश्वर महादेव भगवान शिव स्वरुप है ।

ओणेश्वर महादेव मंदिर श्रधा , विश्वास , प्रगति और उन्नति का प्रतीक है |

नाग मंदिर (Nag Temple)

लक्ष्मण मंदिर (Laxman Temple)

विष्णु मंदिर (Vishnu Temple)

कोटेश्वर महाराज मंदिर (Koteshwar Maharaj Temple) – 

पाउकी देवी मंदिर (Pauki Devi Temple)

राम मंदिर (Ram Temple)

रमण शक्तिपीठ मंदिर (Raman Shaktipeeth Temple)

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