जन्म स्थान– पाटली गांव( चमोली)
शिक्षा– बी ए( 1911),बार -एट -लाँ ( LLB1919)
गढ़वाल के दानवीर घनानंद खंडूरी ने लाँ हेतु आर्थिक सहायता की ।
यूरोप से आदर्शवाद व माक्र्सवादी विचारधारा से प्रभावित हुए ।
तिलक से गहरे संबंध ।
1919 को नैनी जेल गए ।
1920 को अमृतसर कॉन्ग्रेस अधिवेशन में गए जहां जिन्ना से मुलाकात हुई ।
कुली बेगार उन्मूलन में उल्लेखनीय भूमिका ।
1926 में स्वराज दल के टिकट पर प्रांतीय काउंसिल हेतु चुने गए ।
1930 में चंद्र सिंह गढ़वाली के पेशावर कांड की पैरवी की ।
1938 से 1943 तक टिहरी रियासत हाई कोर्ट के जज रहे ।
1930 में कांग्रेस से इस्तीफा ।
1967 मे राजनीति से सन्यास ।
1969 मे गढ़वाली चित्रकार मोलराम की चित्रों को’ गढ़वाल पेंटिंग्स’ के नाम से प्रकाशित किया ।
1978 मे भारतीय कला संस्थान द्वारा सम्मानित ।
1922 में लैंसडाउन से’ यंग इटली’ तर्ज पर’ तरुण कुमाऊ ‘ पत्रिका का संपादन किया । ( मासिक)
गढ़वाल कमिश्नरी का गठन एवं मोलराम स्कूल ऑफ गढ़वाल पेंटिंग्स की स्थापना के वास्तविक प्रणेता ।
कोटद्वार स्थित इनका घर’ भारतीय भवन’ पक्षियों व दुर्लभ फूलों का संग्रहालय ।
जीवन के पड़ाव मे आर्य समाज, ईसाई, सिक्ख व बौद्ध धर्म ग्रहण किया ।
बतौर और बुद्ध 10 जनवरी 1982 को महापरिनिवणि प्राप्त हुआ ।