आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस

  • विश्व में कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी का सबसे पहले प्रयोग संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा किया गया था। संयुक्त राज्य अमेरिका ने इस प्रौद्योगिकी का प्रयोग सबसे पहले अंग्रेजी भाषा को रूसी भाषा में परिवर्तित करने तथा रूसी भाषा को अंग्रेजी भाषा में परिवर्तित करने के लिए किया था। कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी का यह अनुप्रयोग संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा उस समय किया गया था, जब रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच शीत युद्ध चल रहा था। तो ऐसे में, सुरक्षा के दृष्टिकोण से संयुक्त राज्य अमेरिका ने रूसी भाषा को अंग्रेजी भाषा में अनुदित करने के लिए इस तकनीक का विकास किया था।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी क्या है?

  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी विज्ञान की एक ऐसी शाखा है, जिसके अंतर्गत मशीनें ही इस प्रकार से व्यवहार करती हैं, जिस प्रकार से मानव अपनी बुद्धिमत्ता का उपयोग करता है। इसका अर्थ यह है कि मशीनें जब समय और परिस्थिति इत्यादि के विश्लेषण के बाद कोई निर्णय लेती है, तो मशीन की इस अवस्था को ‘कृत्रिम बुद्धिमत्ता’ (Artificial Intelligence – AI) कहा जाता है।  कृत्रिम बुद्धिमत्ता का अध्ययन विज्ञान की जिस शाखा के तहत किया जाता है, उसे ‘कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी’ कहते हैं।
  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी एक अत्यंत विस्तृत क्षेत्र है। इसके अंतर्गत अन्य विभिन्न क्षेत्र शामिल किए जाते हैं। उदाहरण के लिए, मशीन लर्निंग, डीप लर्निंग, रोबोटिक्स, परिधेय प्रौद्योगिकी (Wearable Technology), इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) इत्यादि कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी की ही अन्य उप शाखाएँ हैं।

विशेषज्ञों के अनुसार, कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी को उसकी कार्यशैली के आधार पर दो वर्गों में विभाजित किया जा सकता है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी के ये 2 वर्ग हैं-

1. मजबूत कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी

2. कमजोर कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी

 

मजबूत कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी

  • यह कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी का एक ऐसा प्रकार है, जिसके अंतर्गत कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी समर्थित मशीन वे सभी कार्य करने में सक्षम हो जाती है, जो एक मानव कर सकने में सक्षम होता है। यानी इस मशीन द्वारा कार्य निष्पादन किये जाने के दौरान मानवीय हस्तक्षेप लगभग नगण्य होता है।

 

कमजोर कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी

यह कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी का एक ऐसा प्रकार है, जिसके अंतर्गत कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी समर्थित मशीन वे सभी कार्य करने में पूर्ण रूप से सक्षम नहीं होती है, जो एक मानव कर सकने में सक्षम होता है। यानी इस मशीन के द्वारा कार्य निष्पादन किए जाने के दौरान बीच-बीच में पर्याप्त मानवीय हस्तक्षेप भी आवश्यक होता है।

भारत में कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में किए गए प्रयास

भारत में  कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी  क्षेत्र में भी निजी और सार्वजनिक दोनों ही स्तर पर अनेक प्रयास किए गए हैं ।

इस दिशा में कुछ प्रयास ‘रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन’ (DRDO) द्वारा किए गए हैं।

इस दिशा में नीति आयोग ने ‘कृत्रिम बुद्धिमत्ता से संबंधित एक राष्ट्रीय रणनीति’ घोषित की है। नीति आयोग ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता के लिए इस राष्ट्रीय रणनीति की घोषणा वर्ष 2018 में की थी। अपनी रणनीति में नीति आयोग ने यह दर्शाया है कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता के क्षेत्र में भारत में कितना सामर्थ्य है तथा इस प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करने में भारत आगे किस प्रकार का रुख अपनाने वाला है। नीति आयोग ने अपनी इस रणनीति में न केवल भारत, बल्कि उसके वैश्विक विस्तार पर भी ध्यान केंद्रित किया है।

नीति आयोग द्वारा एआई के लिए राष्ट्रीय रणनीति के उद्देश्य

  1. सभी लोगों तक इसकी प्रभावी पहुँच सुनिश्चित करना तथा उन्हें आधारित तकनीक उपयोग करने के लिए समर्थ बनाना।
  2.  भारत में कृत्रिम बुद्धिमत्ता के क्षेत्र में कुशल विशेषज्ञता की कमी को दूर करने पर भी ध्यान केंद्रित करना होगा।
  3.  उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए समाधान विकसित करना, व्यापक स्तर पर अनुसंधान को बढ़ावा देना और इसके माध्यम से आर्थिक विकास की गतिविधियों को गति देना भी शामिल है।
  4.  ना सिर्फ राष्ट्रीय स्तर की चुनौतियों से, बल्कि विश्व स्तर की चुनौतियों से भी निपटने का प्रयास करना चाहिए।
  5.  इस क्षेत्र में आपसी सहयोग और साझेदारी के माध्यम से भी इस तकनीक का लाभ उठाना चाहिए ताकि सभी की सर्वांगीण समृद्धि सुनिश्चित की जा सके।
  6. #AlforAll (#एआई_फॉर_ऑल) यानी सभी लोगों के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता के द्वार खोलना और उन्हें उसके उपयोग के लिए प्रोत्साहित करना भी शामिल है।

एआई के लिए राष्ट्रीय रणनीति के घटक

नीति आयोग ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता को बढ़ावा देने के लिए देशभर में यह रणनीति घोषित की है।  नीति आयोग के द्वारा इस रणनीति के तहत निर्धारित किए गए 3 घटक निम्नानुसार हैं-

  1. ‘ग्रेटर गुड’ के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता : सामाजिक विकास और समावेशी विकास।
  2. अवसर : भारत के लिए आर्थिक क्षेत्र में कृत्रिम बुद्धिमत्ता की उपयोगिता
  3. विश्व के 40% लोगों के लिए ‘कृत्रिम बुद्धिमत्ता गैराज’

 

1. ‘ग्रेटर गुड’ के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता : सामाजिक विकास और समावेशी विकास-

  •  ‘ग्रेटर गुड’ का अर्थ यह है टिकट बुद्धिमत्ता के माध्यम से अधिक से अधिक अच्छा प्रभाव सुनिश्चित किया जा सके। इसके अंतर्गत जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना और देश के एक बड़े हिस्से तक लोगों की पहुँच सुनिश्चित करना आदि शामिल हैं।
  • नीति आयोग के अनुसार, ग्रेटर गुड संबंधी कृत्रिम बुद्धिमत्ता के इस घटक का इस्तेमाल तेजी से बढ़ते शहरीकरण की समस्या से निपटने के लिए भी किया जा सकता है। वास्तव में, शहरीकरण की तीव्र गति के कारण उस क्षेत्र में निवास करने वाली आबादी की माँगें भी तेज गति से बढ़ती हैं। ऐसे में, उनकी माँगों को पूरा करने के लिए स्मार्ट सिटी के विकास को कृत्रिम बुद्धिमत्ता के माध्यम से साकार किया जा सकेगा तथा उन क्षेत्रों में आधारभूत ढाँचे के विकास को भी कृत्रिम बुद्धिमत्ता के उपयोग के माध्यम से गति मिलेगी।

2. अवसर : भारत के लिए आर्थिक क्षेत्र में कृत्रिम बुद्धिमत्ता की उपयोगिता-

  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी के उपयोग के माध्यम से औद्योगिक क्षेत्र में भी नवाचारों को प्रोत्साहित किया जा सकेगा। इसके माध्यम से न सिर्फ आर्थिक क्षेत्र की उत्पादकता में वृद्धि होगी, बल्कि इससे आर्थिक विकास को तेज करने सहायता मिलेगी।

3. विश्व के 40% लोगों के लिए ‘कृत्रिम बुद्धिमत्ता गैराज’

  • नीति आयोग अपने इस घटक के अंतर्गत यह स्पष्ट करता है कि भारत विश्व के विभिन्न उद्यमों और संस्थानों के लिए एक ऐसा आदर्श कार्यक्षेत्र सिद्ध हो सकता है, जहाँ पर वे कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी के माध्यम से विभिन्न समस्याओं के ‘मापनीय समाधान’ (Scalable Solution) खोजे जा सकते हैं और इसके परिणाम स्वरूप विश्व की विभिन्न विकासशील और उभरती हुई अर्थव्यवस्था की अनेक समस्याओं का समाधान किया जा सकता है। नीति आयोग का यह मत है कि इस व्यवस्था के माध्यम से विश्व की लगभग उन सभी समस्याओं का समाधान किया जा सकता है, जो विश्व के लगभग 40% लोगों को परेशान करती हैं।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता के लिए राष्ट्रीय रणनीति के अंतर्गत नीति आयोग द्वारा चयनित क्षेत्र

नीति आयोग द्वारा कृत्रिम बुद्धिमत्ता के लिए घोषित की गई राष्ट्रीय रणनीति के अंतर्गत शामिल पाँचों क्षेत्र इस प्रकार हैं- शिक्षा और कौशल क्षेत्र; कृषि क्षेत्र; स्वास्थ्य क्षेत्र; स्मार्ट मोबिलिटी और परिवहन; स्मार्ट सिटी और बुनियादी ढाँचा।