इनका जन्म 1879 में पौड़ी के थापली गांव के कपोलस्यूं पट्टी में हुआ था।

इन्हें गढ़वाल में हिंदी पत्रकारिता का “भीष्म पितामह” का जाता है ।

मात्र 17 वर्ष की आयु में माता पिता का साया उठ गया ।

जीविकोपार्जन की विकराल समस्या से जूझने के लिए “सर्वे ऑफ इंडिया” में नौकरी की ।

1901 में तारा दत्त गैरोला , चंद्रमोहन रतूड़ी , विश्वंभर दत्त चंदोला , गिरीजदत्त नैथाड़ी आदि के प्रयासों से स्थापित “गढ़वाल यूनियन” द्वारा 1905 से गढ़वाली नामक पेपर का प्रकाशन शुरू हुआ जिस के संपादक चंदोला और नैथाडी थे ।

बाद में केवल चंदोला ने ही कार्य संभाला ।

16 फरवरी 1914 को दुगड्डा में एक सम्मेलन में गढ़वाल के तीनों पत्रों ( विशाल कीर्ति , गढ़वाल समाचार और गढ़वाली ) का एकीकरण करने का निर्णय लिया गया ।

और 1915 से “साप्ताहिक गढ़वाल”  के नाम से प्रकाशन शुरू हुआ । इसके संपादन का कार्य चंदोला ने संभाला ।

1970 में इनकी मृत्यु हो गई ।

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