चमोली में स्थित मंदिर
वृद्ध बद्री
चमोली मे स्थित एक प्राचीन मंदिर, ऋषिकेश-जोशीमठ-बद्रीनाथ मार्ग पर जोशीमठ से 7 किमी (4.3 मील) की दूरी पर अनिमथ गाँव (1,380 मीटर (4,530 फीट), समुद्र तल से ऊपर) में स्थित है।वृद्धा बद्री किंवदंती कहती है कि विष्णु ऋषि नारद से पहले वृद्ध या बूढ़े व्यक्ति के रूप में प्रकट हुए थे जिन्होंने यहां तपस्या की थी। इस प्रकार, इस मंदिर में स्थापित मूर्ति एक बूढ़े व्यक्ति के रूप में है।
योग ध्यान मंदिर
चमोली मे स्थित योगध्यान बद्री, जिसे योग बद्री भी कहा जाता है, पांडुकेश्वर) पर स्थित है, जो गोविंद घाट के करीब 1,829 मीटर (6,001 फीट) की ऊंचाई पर स्थित है और मुख्य रूप से प्राचीन है मान्यता है कि पांच पांडवों के पिता – राजा पांडु, हिंदू महाकाव्य महाभारत के नायक, भगवान विष्णु का ध्यान करने के लिए भगवान ने दो संभोग हिरणों की हत्या के पाप से मुक्ति पाने के लिए योगध्यान बद्री गए थे | माना जाता है कि पांडु ने योगध्यान बद्री मंदिर में विष्णु की कांस्य प्रतिमा स्थापित की थी।
बद्रीनाथ मंदिर (Badrinath Temple)
चमोली मे स्थित बद्रीनाथ अथवा बद्रीनारायण मन्दिर भारतीय राज्य उत्तराखण्ड के चमोली जनपद में अलकनन्दा नदी के तट पर स्थित एक हिन्दू मन्दिर है। यह हिंदू देवता विष्णु को समर्पित मंदिर है और यह स्थान इस धर्म में वर्णित सर्वाधिक पवित्र स्थानों, चार धामों, में से एक यह एक प्राचीन मंदिर है जिसका निर्माण ७वीं-९वीं सदी में होने के प्रमाण मिलते हैं। बद्रीनाथ मन्दिर में हिंदू धर्म के देवता विष्णु के एक रूप “बद्रीनारायण” की पूजा होती है। यहाँ उनकी १ मीटर (३.३ फीट) लंबी शालिग्राम से निर्मित मूर्ति है जिसके बारे में मान्यता है कि इसे आदि शंकराचार्य ने ८वीं शताब्दी में समीपस्थ नारद कुण्ड से निकालकर स्थापित किया था।
लोकपाल मंदिर (Lokpal Temple)
- चमोली मे स्थित लोकपाल मंदिर के समुद्र तल से ऊंचाई लगभग 14200 फुट है।
- सिक्ख धर्म की परंपरा के अनुसार यह गुरु गोविन्द सिंह के पूर्वजन्म को तपःस्थली है।
- लोकपाल में ‘हेमकुण्ड’ नामक एक सरोवर है। पास ही लक्ष्मण जी का एक मंदिर तथा एक गुरुद्वारा है।
- इस स्थान के लिए विश्व प्रसिद्ध ‘फूलों की घाटी’ से होकर मार्ग जाता है।
नरसिंह देव मंदिर (Narasimha Dev Temple)
देवभूमि उत्तराखंड के चमोली ज़िले के ज्योतिर्मठ (जोशीमठ) क्षेत्र में स्थित ‘नृसिंह मंदिर’ भगवान विष्णु के 108 दिव्य देशमों में से एक है । नरसिंह मंदिर जोशीमठ का सबसे लोकप्रिय मंदिर है , यह मंदिर भगवान नरसिंह को समर्पित है जो कि भगवान विष्णु के चौथे अवतार थे । सप्त बद्री में से एक होने के कारण इस मंदिर को नारसिंघ बद्री या नरसिम्हा बद्री भी कहा जाता है ।
आदि बद्री मंदिर (Adi Badri Temple)
चमोली मे स्थित आदिबद्री मंदिर प्राचीन मंदिर का एक विशाल समूह एवम् बद्रीनाथ मंदिर के अवतारो में से एक है , इस मंदिर का प्राचीन नाम “नारायण मठ” था । यह मंदिर कर्णप्रयाग से लगभग 16 किलोमीटर दूर 16 प्राचीन मंदिरों का एक समुह है लेकिन वर्तमान समय में केवल 16 मंदिर में से 14 ही बचे है । आदिबद्री मंदिर का आकर पिरामिड रूप की तरह है । आदिबद्री मंदिर बद्री क्षेत्र में स्थित सप्तम बद्री मंदिरों में से एक है जो कि बद्री विशाल या बद्रीनाथ , आदि बड़री , वृद्धा बद्री , ध्यान बद्री , अर्धा बद्री , भावीय बद्री और , योगिदान बदरी है ।
भविष्य बद्री मंदिर (Bhavishya Badri Temple)
चमोली मे स्थित भविष्य बद्री मंदिर एक प्रसिद्ध, धार्मिक एवम् पवित्र मंदिर है जो कि लगभग 17 किलोमीटर की दूरी पर जोशीमठ के पूर्व जोशीमठ-लता-मलारी मार्ग पर तपोवन के आस-पास घने जंगलों के बीच में स्थित है या भविष्य बद्री मंदिर , सप्त बद्री में से एक है जो गाँव सुभेन , जोशीमठ उत्तराखंड में स्थित है । यह मंदिर समुन्द्रतल से 2744 मीटर की ऊँचाई पर घने जंगलो के अन्दर स्थित है एवम् यह मंदिर पंच बद्री ( बद्रीनाथ, योगध्यान बद्री, आदि बद्री तथा वृद्ध बद्री ) तीर्थ में से एक है । भविष्य बद्री मंदिर की स्थापना आठवीं सदी में आदि गुरू शंकराचार्य ने की थी ।
ध्यान बद्री
चमोली मे स्थित ध्यान बद्री (2,135 मीटर (7,005 फीट), समुद्र तल से ऊपर) उर्गम घाटी में स्थित है, जो कल्पेश्वर) कल्पा गंगा नदी के तट पर स्थित है । यह हेलंग चट्टी से पहुँचा जा सकता है ध्यान बद्री (ध्यान बद्री) की कथा पांडवों के वंश के राजा पुरंजय के पुत्र उर्वशी से जुड़ी है, जिन्होंने उर्गम क्षेत्र में ध्यान लगाया और विष्णु के लिए मंदिर की स्थापना की। विष्णु की छवि चार भुजाओं वाली है, जो काले पत्थर से बनी है और एक ध्यान मुद्रा में है आदि शंकराचार्य द्वारा निर्मित भगवान शिव का एक मंदिर भी है। कल्पेश्वर, शिव के पंच केदार पवित्र मंदिर में से एक, 2 किलोमीटर (1.2 मील), दूर स्थित है। मंदिर को कभी-कभी पंच-बद्री सूची में शामिल किया जाता है। दक्षिण भारत के ब्राह्मण मंदिर में मुख्य पुजारी के रूप में काम करते हैं
अनुसूया देवी मंदिर
उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित प्रसिद्ध एवम् धार्मिक मंदिर है, यह मंदिर हिमालय की ऊँची दुर्गम पहाडियों पर स्थित है , अनुसूया देवी का मंदिर समुन्द्र तल से 2000 मीटर की ऊँचाई पर स्थित धार्मिक एवम् प्रसिद्ध मंदिर है, मंदिर के दर्शन करने के लिए पैदल चढ़ाई चलनी पड़ती है , मंदिर का महान पुरातात्विक महत्व है , मंदिर का निर्माण नागर शैली में हुआ है , मंदिर के गर्भ गृह में सती अनुसूयाकी भव्य मूर्ति स्थापित है एवम मूर्ति पर चाँदी का छत्र रखा हुआ है , श्री अनुसूया माता के मंदिर के निकट “महर्षि आत्री तपोस्थली” और “दत्तात्रेय” है
हेमकुण्ड मंदिर (Hemkund Temple)
जिला चमोली के हिमालय पर्वतमाला में समुद्र तल से 15,000 फुट से ऊपर की ऊंचाई पर स्थित श्री हेमकुंट साहिब सिख तीर्थयात्रा के एक लोकप्रिय केंद्र के रूप में उभरी है, जहाँ हर साल गर्मियों में हजारों भक्तों घूमने आते है। हेमकुंड में अक्टूबर से अप्रैल तक बर्फ की वजह से जाना अत्यधिक दुर्गम है।
वासुदेव मंदिर (Vasudev Temple)
चमोली मे स्थित वासुदेव मन्दिर रेखा शिखर शैली का है। यह मंदिर 9 -10वीं शताब्दी ईसवी के हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण देहरादून मण्डल ने कुछ समय पूर्व परिसर में एक तीसरे मन्दिर खोजा है तथा उसका संरक्षण किया गया है। स्थानीय लोग इसको लक्ष्मीनारायण मन्दिर के नाम से जानते हैं।
घंटाकर्ण मंदिर (Ghantakarna Temple)
चमोली मे स्थित घंटा कर्ण यक्ष थे और भगवान् शिव के परमभक्त थे और इनके कानो में हमेशा घंटी बंधी हुई रहती थी और घंटा कर्ण जी भगवान् विष्णु का नाम न सुने इस लिए उन्होंने अपने कानो में हमेशा घंटी बाँधी हुई रहती थी और भगवान् विष्णु से नफरत करते थे इस लिए जब भी जहाँ भी भगवान् विष्णु का नाम सुनते तो अपने कानो की घंटी बजा देते थे ताकि उन्हें भगवान् नारायण का नाम न सुनाई दे इसीलिए इन्हें घंटाकर्ण कहा जाता है ,
लव-कुश मंदिर (Luv-Kush Temple)
चमोली मे स्थित रामायण कालीन महर्षि वाल्मिकी की महान धरा एवं माता सीता के पुत्र लव-कुश का जन्मस्थल यहां हर साल श्रावन महीने के पावन पर्व पर धार्मिक पाठ का आयोजन किया जाता है जिसमें हजारों श्रद्धालु हिस्सा लेते हैं।
उमा देवी मंदिर (Uma Devi Temple)
माँ उमा देवी मंदिर चमोली जनपद में कर्णप्रयाग में स्थित अलकनंदा और पिंडर नदी के संगम स्थल के पास स्थित है | माँ उमा देवी मंदिर को कर्णप्रयाग में दूसरे सबसे प्रतिष्ठित हिंदू मंदिर के रूप में जाना जाता है और इस मंदिर की प्रशंसा एवम् पूजा की जाती है | माँ उमा देवी मंदिर में माता पारवती की कात्यायनी रूप में पूजा की जाती है |
गोपीनाथ मंदिर (Gopinath Temple)
चमोली मे स्थित गोपीनाथ मंदिर एक हिन्दू मंदिर है जो भारत के उत्तराखण्ड राज्य के चमोली जिले के गोपश्वर में स्थित है। गोपीनाथ मंदिर गोपेश्वर ग्राम में है जो अब गोपेश्वर कस्बे का भाग है।
गोपीनाथ मंदिर एक प्राचीन मंदिर है जो भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर अपने वास्तु के कारण अलग से पहचाना जाता है; इसका एक शीर्ष गुम्बद और ३० वर्ग फुट का गर्भगृह है, जिस तक २४ द्वारों से पहुँचा जा सकता है।
लाटूदेवता मंदिर (Latudevata Temple)
इस मंदिर के कपाट माणा गांव में \एक दिन के लिए खुलते है। पुजारियों के आंख में पट्टी बांधकर पूजा कि जाती है।
नंदा देवी चमोली
नन्दा देवी राज जात भारत के उत्तरांचल राज्य में होने वाली एक नन्दा देवी की एक धार्मिक यात्रा है। यह उत्तराखंड के कुछ सर्वाधिक प्रसिद्ध सांस्कृतिक आयोजनों में से एक है। यह लगभग १२ वर्षों के बाद आयोजित होती है। अन्तिम जात सन् 2014 में हुई थी। अगली राजजात सन् 2026 में होगी
बंशीनारायण मंदिर चमोली
10 हजार फीट की ऊंचाई पर बंशीनारायन मंदिर उत्तराखंड काट अकेला ऐसा मंदिर है जो मात्र एक दिन के लिए रक्षाबंधन के दिन खुलता है और कुंवारी और विवाहिताएं वंशीनारायण जी को राखी बांधने के बाद ही भाइयों की कलाई में रखी बंधती है सूर्यास्त होते ही मंदिर के कपाट एक साल के लिए फिर से बंद कर दिए जाते है
उमादेवी कर्णप्रयाग
चमोली जिले के अलकनंदा व पिंडर के संगम पर उमा देवी का मंदिर में देवी के दर्शन मात्र से ही मोक्ष को प्राप्ति होती है। इस मंदिर का खास महत्व यह है कि देवी का ध्याणियों (विवाहित लड़कियों) से लगाव है। इसलिए यात्रा के दौरान क्षेत्र की तमाम विवाहित कन्याएं ससुराल से मायके आकर देवी का आशीर्वाद लेती हैं।
कलपेश्वर मंदिर, चमोली
कल्पेश्वर मन्दिर उत्तराखण्ड के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। यह मन्दिर उर्गम घाटी में समुद्र तल से लगभग 2134 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। इस मन्दिर में ‘जटा’ या हिन्दू धर्म में मान्य त्रिदेवों में से एक भगवान शिव के उलझे हुए बालों की पूजा की जाती है। कल्पेश्वर मन्दिर ‘पंचकेदार’ तीर्थ यात्रा में पाँचवें स्थान पर आता है। वर्ष के किसी भी समय यहाँ का दौरा किया जा सकता है। इस छोटे-से पत्थर के मन्दिर में एक गुफ़ा के माध्यम से पहुँचा जा सकता है।
रुद्रानाथ मंदिर, चमोली
रुद्रनाथ मन्दिर भारत के उत्तराखण्ड राज्य के चमोली जिले में स्थित भगवान शिव का एक मन्दिर है जो कि पञ्चकेदार में से एक है । समुद्रतल से 2290 मीटर की ऊंचाई पर स्थित रुद्रनाथ मंदिर भव्य प्राकृतिक छटा से परिपूर्ण है।
रुद्रनाथ मंदिर में भगवान शंकर के एकानन यानि मुख की पूजा की जाती है, जबकि संपूर्ण शरीर की पूजा नेपाल की राजधानी काठमांडू के पशुपतिनाथ में की जाती है। रुद्रनाथ मंदिर के सामने से दिखाई देती नन्दा देवी और त्रिशूल की हिमाच्छादित चोटियां यहां का आकर्षण बढाती हैं।
विष्णु मंदिर, विष्णुप्रयाग
विष्णुप्रयाग (Vishnuprayag) भारत के उत्तराखण्ड राज्य के चमोली ज़िले में स्थित एक बस्ती है । यह अलकनंदा नदी और धौलीगंगा नदी के संगम पर बसा हुआ है और पंच प्रयाग में से एक है। राष्ट्रीय राजमार्ग 7 यहाँ से गुज़रता है । संगम पर भगवान विष्णु जी प्रतिमा से सुशोभित प्राचीन मंदिर और विष्णु कुण्ड दर्शनीय हैं। यह सागर तल से १३७२ मी० की ऊंचाई पर स्थित है ।

Narendra Singh 9761586688,pk246428 Uttrakhand jila Chamoli block Gair send aagnaar chatti , ❤❤ Mandir banane wala bhi,, Narendra Singh ko