डॉ शशिधर शर्मा का जन्म वर्ष 1932 में हुआ था ।
इन्हें संस्कृत साहित्य के अप्रतिम विद्वान , बेजोड़ लेखक , उच्च श्रेणी के शिक्षाविद , महाकवि , “महामहोपाध्याय“, और शास्त्रार्थ महारथ जैसे गौरवशाली उपाधियों से समान्नित किया गया था ।
उनकी बहुचर्चित रचना वीरतरंगणी जो कि 1962 के शहीदों को समर्पित थी, की प्रस्तावना फील्ड मार्शल जनरल केएम करिअप्पा ने लिखी थी।
यह देश के पहले प्राध्यापक है जिन्हें संस्कृत साहित्य की अनन्य सेवाओं के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार 1985 में सर्टिफिकेट ऑफ ओनर्स प्रदान किया गया ।
इन्हें संस्कृत साहित्य के विद्वान बिना पी एच डी की डिग्री के डी.लिट् की उपाधि प्रदान की गई ।
1991 में ज्योर्तिमठ के शंकराचार्य ने इन्हें “विश्वरत्न” की उपाधि देकर अलंकृत किया ।
कांची काम को टीके शंकराचार्य ने आजीवन 1000 रुपए प्रतिमाह मानदेय देने संबंधी सम्मान प्रदान किया तथा पुरी के शंकराचार्य ने “शास्त्रार्थ महारथ” की मानद उपाधि से अलंकृत किया