समुद्र तल से औसतन 1880 मीटर की ऊंचाई पर स्थित मसूरी भारत के प्रमुख पर्वतीय नगरों तथा
पर्यटन केन्द्रों में महत्वपूर्ण स्थान रखता है ।
इसे “पहाड़ों की रानी” भी कहा जाता है ।
यहाँ की सुखद जलवायु एवं प्राकृतिक सौन्दर्य के कारण ही एक अंग्रेज़ मे. हियर्से ने
1811 ईस्वी मे एक स्थानीय जमीदार से खरीदा था ।
जिसने इसे 1812 में ईस्ट इंडिया कंपनी को बेच दिया था ।
सन 1828 को लंढ़ौर बाजार का निर्माण प्रारम्भ हुआ तथा
1832 में भारत के सर्वेयर जनरल कर्नल जॉर्ज एवरेस्ट ने यहाँ अपना कार्यालय खोला ।
1926 से 1931 के मध्य इसे देहरादून से पक्की सड़क द्वारा जोड़ा गया ।
1901 में यहाँ की कुल जनसंख्या 4471 थी जिसमे से 78 प्रतिशत अंग्रेज़ थे ।
स्वतन्त्रता प्राप्ति के समय अंग्रेजों, नवाबों तथा कई राजकुमारों ने भी यह स्थान छोड़ दिया ।
1 सितम्बर 1959 को यहाँ पर आई ए एस ट्रेनिंग स्कूल दिल्ली तथा आई ए एस स्टाफ कॉलेज शिमला को मिलाकर
नेशनल एकेडेमी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन या “राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी” की स्थापना की गई ।
यहाँ कुलड़ी बाजार, लाइब्रेरी बाजार तथा लंढ़ौर बाजार प्रमुख बाजार हैं ।
यहाँ पर 150 से अधिक होटल तथा अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त शिक्षण संस्थाएं हैं ।
1970 में लाइब्रेरी बाजार से गनहिल तक रज्जु मार्ग का निर्माण किया गया ।
सर्दियों में यहाँ दिखने वाली विंटरलाइन पर्यटकों को खूब भाति है ।
यहाँ के दर्शनीय स्थल लालटिब्बा, गनहिल तथा म्युनिसिपल गार्डन हैं ।
इसे नगर पालिका का दर्जा प्राप्त है ।