छै गौकि छांछ नंदू का खावन,
नंदू करौ माँ छाछि कु जावन ।
अभावग्रस्त व्यक्ति से सहायता मांगना
जखि देखि तवा परात
बखि बिताई सारी रात ।
अपनी सुविधानुसार स्वार्थ सिद्ध करना ।
जु नि ध्वोलु अपणों मुख ,
उ क्या देलो हैका सुख ।
जो अपना ही कार्य न कर सके, वह दूसरों का क्या हित करेगा ।
मुखड़ी देखिक टुकड़ी । अपने स्वार्थवश दूसरे को मान देना ।
बनिया भाजी गे , कठगु कोचि गे ।  स्वयं पलायन करके दूसरों के लिए मुसीबत खड़ी कर जाना
बरसो मंगसीर, ग्यु जौ स्थीर । मार्गशीर्ष माह की वर्षा गेंहू, जौ की फसल को लाभ पहुंचाती है ।
बलद नि ल्हाणों ढांगों,
आवत नि चाणों कांगो ।
कार्य के अनुसार उपयुक्त साधन जोड़ना, रिश्ते अपने बराबरी मे करना ।
कभि तैला धाम,
कभि सीला धाम ।
चार दिन का सुख, चार दिन का दुख । कभी खुशी कभी गम ।
तिमला-तिमला खत्या,
नंग्या-नंगि द्यख्या ।
हानि के साथ-साथ सम्मान भी खो देना ।
टका न पैसा,
गौं-गौं भैसा ।
आर्थिक रूप से दुर्बल होने पर भी संपन्नता के सपने देखना ।
सैणि सैंधार,
मैस हैकि धार ।
सर्वथा विपरीत विचारधाराएँ
अफू चलदन रीता,
हैका पढ़ौदन गीता ।
स्वयं ज्ञान न होने पर भी दूसरे को ज्ञान बांटना
जै की लद्वाड़ी लगी आग,
उ क्या खुज्यालों साग ।
भारी भूख लगने पर सूखी रोटी भी स्वादिष्ट लगती है ।
तन्नि बल चौमासी जर,
तन्नि सि निखान्ता घर।
संकटग्रस्त होने के साथ-साथ अभावग्रस्त भी होना ।
काचा चोर बल भेज्या चोरी
काचा आरू ल्याहा तोड़ी ।
अनुभवहीन व्यक्ति को उतरदायित्व देने पर कार्य ठीक ढंग से नहीं होता ।
पढ़ायों लिखायो जाट,
सोला दुनि आठ ।
मंदबुद्धि को कितना भी सिखाओ, वह कुछ भी ग्रहण नहीं कर पाता ।
कितला कु नाग अर बिरला को बाघ भारी भ्रम हो जाना ।
ढूंगा मू धेर्याल त्याग देना ।
घ्वीड़ ते चांठू प्यारो । सभी को अपना घर (देश) प्यारा होता है ।
नाक काटी कि हाथ म धरयो च माँ-सम्मान ताक पर रखकर बेशर्म हो जाना ।
घुंडु घुंडु फुकेगे, कुतराण कख आए । नितांत लापरवाह होना ।
भ्वीं म खूटा नि धरेंधा । अत्यंत हर्षित होना ।
मुंडो नो कपाल । घूमा फिराकर एक ही बात करना ।
भेंसी का गिच्चा, फ़्यूंली का फूल । आवश्यकता से बहुत ही कम प्राप्ति होना ।
जै पतली माँ भात खाण वी मै छेद कन । विश्वासघात करना ।
कैको कुखड़ो कैको भभताट । कोई संबंध न होने पर भी दूसरों कि खुशी मे उत्साह दिखाना ।
दिखयु मनखि तप्यू घाम । जाँचे-परखे व्यक्ति को बार-बार नहीं परखना चाहिए ।