हाल ही में ‘भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण’ (Botanical Survey of India – B.S.I.) द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट से पता चलता है कि भारत के 1 प्रतिशत से कम भू-भाग वाले सबसे छोटे राज्य सिक्किम में देश के 27 प्रतिशत फूलों वाले पौधे पाए जाते हैं।

माह की शुरुआत में जारी ‘सिक्किम का फ्लोरा – ए पिक्टोरियल गाइड’, छोटे हिमालयी राज्य में प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले 4,912 फूलों के पौधों को सूचीबद्ध करता है।
रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु

देश में प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले फूलों के पौधों की कुल प्रजातियाँ लगभग 18,004 हैं और 4,912 प्रजातियों के साथ सिक्किम में फूलों के पौधों की विविधता 7,096 वर्ग कि.मी. के क्षेत्र में फैली हुई है।
वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं ने कहा कि राज्य, जो ‘कंचनजंगा जीवमंडल परिदृश्य’ का एक हिस्सा है में अलग-अलग ऊँचाई वाले पारिस्थितिक तंत्र मौज़ूद हैं, जो जड़ी-बूटियों और पेड़ों को बढ़ने और पनपने का अवसर प्रदान करते हैं।
सब-अल्पाइन वनस्पति (Sub-Alpine vegetation) से लेकर समशीतोष्ण (Temperate) और उष्णकटिबंधीय (Tropical) तक, राज्य में विभिन्न प्रकार की वनस्पतियाँ मौज़ूद हैं और इसी कारण से वनस्पतियों में विविधता व्याप्त है।
प्रकाशन में जंगली ऑर्किड की 532 प्रजातियों (जो भारत में पाई जाने वाली सभी आर्किड प्रजातियों का 40% से अधिक है), रोडोडेंड्रोन की 36 प्रजातियाँ, ओक की 20 प्रजातियाँ और अन्य प्रजातियों के मध्य उच्च मूल्य वाले औषधीय पौधों की 30 से अधिक प्रजातियों का विवरण प्रस्तुत किया गया है।
आधुनिक वनस्पति विज्ञान के अग्रदूतों में से एक ‘सर जोसेफ डाल्टन हुकर’ ने वर्ष 1848 में सिक्किम का पहला सर्वेक्षण किया और सिक्किम के रोडोडेंड्रोन को प्रकाशित किया।चिंतायें

पर्वतीय राज्य में कुछ गतिविधियाँ, पर्यावरण और जैव विविधता पर उनके प्रभाव पर विचार किये बिना की जा रही हैं।
नाथू ला तक सड़कों का चौड़ीकरण, जो हमारे (चीन की सीमा से लगे) रणनीतिक हित में है और उत्तरी सिक्किम में जल विद्युत संयंत्रों को भी स्थानीय लोगों की पर्यावरणीय चिंताओं को ध्यान में रखना चाहिये।
राज्य से संबंधितअन्य प्रमुख बिंदु राज्य की सीमा चीन, भूटान और नेपाल और पश्चिम बंगाल की दार्जिलिंग पहाड़ियों से भी लगती है।

राज्य की समुद्र तल से ऊँचाई 300 से 8,598 मीटर के मध्य है। जिसमें हिमालय पर्वत श्रृंखला की ‘कंचनजंगा पर्वत’ (8,586 मीटर) की चोटी भी स्थित है।
‘सिक्किम वन वृक्ष (एमिटी एंड रेवरेंस) नियम, 2017’ शीर्षक वाली अधिसूचना के अनुसार राज्य सरकार किसी भी व्यक्ति को अपनी निजी भूमि या किसी भी सार्वजनिक भूमि पर खड़े पेड़ों से ‘मिथ/मिट या मितिनी संबंध’ (Mith/Mit or Mitini relationship) के साथ संबद्ध होने की अनुमति देती है।
अधिसूचना के अनुसार लोगों को एक पेड़ को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। जैसे कि यह उसका अपना बच्चा है, उस स्थिति में पेड़ को गोद लिया हुआ पेड़ कहा जाएगा
अन्य स्मरणीय तथ्य

भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण’ (Botanical Survey of India – B.S.I.) स्थापना – वर्ष 1890

स्थापना निर्देशन – सर जॉर्ज किंग

मुख्यालय – कोलकाता
पुनर्गठन – वर्ष 1954, डा. ई.के. के नेतृत्व में।
अधीन – पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय।
उद्देश्य – देश के पादप संसाधनों की पहचान करने के लिये।
बी.एस.आई. के देश में 11 क्षेत्रीय केंद्र मौज़ूद हैं।
बी.एस.आई. ने हाल ही में शिलांग और पुणे में आणविक वर्गीकरण प्रयोगशालाओं की स्थापना की है।
बी.एस.आई. की आधिकारिक पत्रिका NELUMBO के ऑनलाइन पोर्टल का शुभारंभ पूरा हो चुका है।

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