1815 ई0 के बाद टिहरी रियासत
Q.1 : टिहरी राज्य में ब्रिटिश सरकार का राजनैतिक प्रतिनिधित्व कुमाऊँ के कमिश्नर को सौंप गया – 26 दिसम्बर 1842 ई० को
Q.1 : सुदर्शन शाह ने टिहरी को अपनी राजधानी बनाई – 28 दिसम्बर 1815 मे
Q.2 : सुदर्शन शाह का कार्यकाल था – 1815 से 1859 तक
Q.3 : महाराजा सुदर्शनशाह ने अपने लिए एक राजप्रासाद पुराना दरबार बनवाया – सन् 1848 ई० में
Q.4 : टिहरी का पहला भूमि बंदोबस्त हुआ – 1823 मे
Q.5 : सूदर्शन शाह पँवार वंश का शासक था – 55वां
Q.6 : कालविदों का शिरोमणि किसे कहा गया है – सूदर्शन शाह को
Q.7 : चेतु तथा माणकू कलाकारों को किसने आश्रय दिया – सूदर्शन शाह ने
Q.8 : सूदर्शन शाह ने सभागार कितने खंडो मे लिखा है – 7
Q.9 : सूदर्शन शाह ने स्वयं को क्या कहकर संबोधित किया है – सूरत कवि
Q.10 : सूदर्शन शाह की मृत्यु कब हुई – 1859 ई0
Q.11 : टिहरी की जनता ने सूदर्शन शाह को किस नाम से पुकारा – बोलादा बद्रीश
Q.12 : सूदर्शन शाह ने किस अंग्रेज़ अधिकारी की रक्षा बाघ से की थी – फ्राइडन की
Q.13 : सूदर्शन शाह का उतराधिकारी था – भवानी शाह
Q.14 : भवानी शाह का कार्यकाल था – 1857 से 1871 तक
Q.15 : देवप्रयाग मे संस्कृत पाठशाला बनवाई थी – भवानी शाह ने
Q.16 : भवानी शाह की मृत्यु हुई – 1871 को
Q.17 : प्रताप शाह का कार्यकाल रहा – 1871 से 1886
Q.18 : भूव्यवस्था ज्यूला पैमाइश किसके कार्यकाल मे हुई थी – प्रताप शाह
Q.19 : टिहरी, मसूरी, श्रीनगर राजमार्ग का निर्माण करवाया – प्रताप शाह ने
Q.20 : टिहरी मे अँग्रेजी शिक्षा की शुरुआत की – प्रताप शाह ने
Q.21 : टिहरी मे प्रताप नगर की स्थापना किसने की – प्रताप शाह ने
Q.22 : टिहरी मे सर्वप्रथम पुलिस विभाग की स्थापना किसने की – प्रताप शाह ने
Q.23 : कीर्तिशाह की सरंक्षिका थी – महारानी गुलेरिया
Q.24 : कीर्तिशाह ने शासन किया – 1886 से 1913 तक
Q.25 : कीर्तिशाह ने ‘नया दरबार’ नामक प्रासाद का निर्माण करवाया – सन् 1880 से 1881
Q.26 : ‘पुराना दरबार’ कीर्तिशाह के किसके हिस्से में आया – अनुज कुँवर ‘विचित्रशाह’
Q.27 : कीर्तिशाह को अंग्रेज़ो ने 1889 मे कौन सी उपाधि दी – कंपेनियन ऑफ इंडिया
Q.28 : कीर्तिशाह को इंगलेंड मे 11 तोपों की सलामी दी – 1900 मे
Q.29 : कीर्तिशाह को नाइट कमांडर की उपाधि दी – 1901 मे
Q.30 : टिहरी मे प्रताप हाईस्कूल व हीवेट संस्कृत पाठशाला की स्थापना की – 1901 मे
Q.23 : टिहरी मे वेधशाला का निर्माण करवाया – कीर्तिशाह ने
Q.31 : टिहरी में नगर में नगरपालिका की स्थापना की – कीर्तिशाह ने
Q.32 : जंगलात व कचहरी की कार्य प्रणाली में सुधार किया – कीर्तिशाह ने
Q.33 : टिहरी की जनता को पहली बार बिजली की सुविधा से अवगत करवाया – कीर्तिशाह ने
Q.34 : कीर्तिनगर की स्थापना कीर्तिशाह ने कब की – 1896 मे
Q.35 : उत्तरकाशी मे एक कुष्ठ आश्रम खोला – कीर्तिशाह ने
Q.36 : टिहरी मे प्रेस खोला – कीर्तिशाह ने
Q.37 : टिहरी मे कृषकों के कल्याण के लिए कृषि बैंक की स्थापना की – कीर्तिशाह ने
Q.38 : हिन्दी टाइपराइटर का आविष्कार किया – कीर्तिशाह ने
Q.39 : कीर्तिशाह की विलक्षण प्रतिभाओं को देखकर ही सम्भवतः लॉर्ड लैन्सडाउन ने सन् 1892 के ‘वायसराय दरबार’ में यह घोषणा की – भारतीय राज्यों के प्रत्येक नरेश को कीर्तिशाह को अपना आदर्श बनाना चाहिए एवं उनका अनुकरण करना चाहिए।
Q.40 : टिहरी मे घंटाघर का निर्माण करवाया – कीर्तिशाह ने , 1897 मे
Q.41 : टिहरी मे घंटाघर की ऊंचाई थी – 110 मीटर
Q.42 : कीर्तिशाह की मृत्यु हुई – 25 अप्रैल 1913
Q.43 : नरेन्द्र शाह ने शासन किया – 1913 से 1946 तक
Q.44 : नरेंद्रशाह ने नरेंद्रनगर की स्थापना की – 1921 मे
Q.45 : नरेंद्रशाह ने टिहरी से नरेन्द्रनगर राजधानी स्थानांतरित कब की – 1925 मे
Q.46 : नरेंद्र शाह की सरंक्षिका थी – राजमाता नेपालिया
Q.47 : प्रताप हाई स्कूल को इंटर कॉलेज किया – नरेंद्र शाह ने
Q.48 : नरेंद्र शाह को उपाधि दी गई – सर व केएसएसआई की
Q.49 : नरेंद्र शाह ने हिन्दू लॉ को विधिवत करवाया – 1919 मे
Q.50 : नरेंद्रशाह ने निम्न सड़कों का निर्माण करवाया –
नरेन्द्रनगर से मुनि की रेती तक, मुनि की रेती से देवप्रयाग तक तथा गंगा के किनारे-किनारे होता हुआ कीर्तिनगर तक, तीसरा नरेन्द्रनगर से टिहरी तक
Q.51 : 1937 मे नरेद्रशाह को एलएलडी की उपाधि दी – बनारस विश्वविधालय ने
Q.52 : टिहरी मे प्रथम बार जनगणना करवाई गई – 1921 मे
Q.53 : प्रथम सांसद चुनी गई – राजमाता कल्मेन्दुमतिशाह
Q.54 : राजमाता कल्मेन्दुमतिशाह को पदम विभूषण दिया गया – 1958 मे समाज सेवा के लिए
गढ़नरेशों का प्रशासन
Q.55 : विलियम्स के अनुसार गढ़नरेशों के मंत्रिमण्डल में होते थे – दीवान, दफ्तरी, वजीर, फौजदार और नेगी
Q.56 : राज्य का सर्वोच्च मंत्री होता था – मुख्तार या बजीर
Q.57 : प्रत्येक परगने के सैनिक शासक कहलाते थे – फौजदार
Q.58 : फौजदार का कार्य था – अपने परगने में सुव्यवस्था रखना, सीमान्त की रक्षा करना, राजस्व की वसूली तथा आदेशानुसार आवश्यकता पड़ने पर सेना सहित रण क्षेत्र में पहूँचना होता था।
Q.59 : दीवान – आय व्यय का कार्य करने वाला
Q.60 : सेना को वेतन देने वाले थे – बख्शी
Q.61 : राजधानी के सुरक्षाधिकारी कहलाते थे – गोलदार
Q.62 : प्राचीन सम्भ्रान्त परिवारों के प्रतिनिधियों के रूप में मंत्रिमण्डल में स्थान दिया जाता था – ‘नेगी’ को
Q.63 : तीव्रगामी सन्देशवाहक कहलाते थे – ‘चणु’
Q.64 : राजसभा तथा राजप्रासाद में अर्दली का कार्य करने वाले को कहते थे – ‘चाकर’
Q.65 : राजा के साथ चांदी का दण्ड लेकर चलने वाले को कहते थे – ‘चोपदार’
Q.66 : राज्य के विभिन्न परगानों में राजस्व की वसूली किसके द्वारा होती – थोकदार
Q.67 : थोकदार को अन्य किस नाम से जाना जाता था – कमीण या सयाणा
Q.68 : थोकदार परगने में प्रत्येक गांव के प्रभावशाली व्यक्तियों में से किसी एक को नियुक्त करता था – ‘प्रधान’
Q.69 : उक्त ग्राम से राजस्व वसूली का काम सौंपता था – ‘प्रधान’
Q.70 : ‘प्रधान’ का पद अस्थायी होता था। उसे थोकदार हटा सकता था। प्रधान थोकदार को विभिन्न वस्तुयें नजराने के रूप में देता था।
Q.71 : औताली था – एक प्रकार का राजस्व कर
Q.72 : नापतौल की पद्धति धूलिपाथा का प्रचलन किसने किया – अजयपाल ने
Q.73 : राजा निम्नलिखित तीन परिस्थितियों में भू स्वामित्व दूसरे को दे सकता था-
(अ) संकल्प या विष्णु प्रीति में – विद्वान ब्राह्मणों को।
(ब) रौत में – विशिष्ट साहस एवं वीरता प्रदर्शित करने वाले सैनिक को।
(स) जागीर में – राज्याधिकारियों को।
Q.74 : जिस व्यक्ति या मन्दिर को संकल्प, रौत या जागीर में कोई ‘थात’ (भूमि) दी जाती थी वह कहलाता था – ‘थातवान्’
थातवान् उस भूमि पर पहले से बसे कृषकों को हटा नहीं सकता था।
Q.75 : थातवान् की भूमि पर बसे किसान ‘थातवान्’ के कहलाते थे – ‘खायकर’
Q.76 : ‘कैनी’ – थातवान् थात में मिली भूमि के जिस अंश पर स्वय काश्त करने लगता था,
उस पर वह नये परिवारों को बसा सकता था, ऐसे परिवार थातवान् के ‘कैनी’ कहलाते थे।
Q.77 : ‘सिरतान’ – कभी-कभी थातवान् अपनी भूमि पर कृषकों को स्वेच्छानुसार अस्थायी, रूप से बसा देते थे और आवश्यकता पड़ने पर हटा देते थे, ऐसे कृषकों को
‘सिरतान’ कहते थे।
Q.78 : राजधानी में सारे राज्य की कृषि भूमि का लेखा रखा जाता था – दफ्तरी के कार्यालय में
Q.79 : राज्य की आय का प्रमुख साधन था – ‘सिरती’ या ‘भूमिकर’
Q.80 : गढ़नरेश आश्रयदाता थे – संस्कृत तथा हिन्दी के विद्वानों, कवियों और ज्योतिषियों के
Q.81 : गढ़नरेश की राजभाषा थी – गढ़वाली
Q.82 : गढ़नरेशों की सबसे अधिक ख्याति किन्हे आश्रय देने से हुई – चित्रकारों को
Q.83 : श्यामदास तोमर और उनके वंशजों ने राजपूत चित्रकला की पहाड़ी शाखा में एक नई तूलिका का विकास किया वह किस नाम से प्रसिद्ध है – ‘गढ़वाली कलम’
Q.84 : गढ़राज्य में मुगल शैली की चित्रकला आरम्भ करने का श्रेय किसे है – श्यामदास और उनके पुत्र केहरदास
Q.85 : मोलाराम ने मुगल शैली की शिक्षा प्राप्त की थी – अपने पिता मंगतराम
Q.86 : मोलाराम ने अपने किस उस्ताद का उल्लेख किया है – रामसिंहजो मुंशी विलोचन का पुत्र था।
Q.87 : प्रारम्भ में गढ़ सेना किन पलटनों में विभक्त होती थी – ‘लोहबा’, ‘बधाण’ तथा ‘सलाण’
Q.88 : गढ़नरेश अपने सैनिकों की नियुक्ति स्वयं न करके किससे करवाते थे – फौजदारों तथा गोलदारों से
Q.89 : प्रत्येक परगने के सैनिक शासक कहलाते थे – फौजदार
Q.90 : राजधानी की रक्षा करने वाले – गोलकार
टिहरी नरेशों का प्रशासन
Q.91 : सुदर्शनशाह के राज्य काल में प्रशासनिक सुविधा के लिये राज्य को कितने ‘ठाणौं’ में बांटा गया था – चार
Q.92 : ठाणौं के हाकिम कहलाते थे – ठाणदार (थानेदार)
Q.93 : ठाणे किनमे बांटा गया था – परगनों व पट्टियों में
Q.94 : परगने की व्यवस्था करने वाले अधिकारी को ‘’ कहते थे – सुपरवाइजर
Q.95 : सुपरवाइजर का पद ब्रिटिश गढ़वाल के किस पद के समान था – कानूनगो
Q.96 : राजस्व विभाग का अधिकारी होने के साथ-साथ पुलिस अधिकारी के रूप में भी कार्य करता था – पटवारी
Q.97 : पटवारी का आवश्यक कार्य था – अपनी पट्टी के पधानों से निर्धारित राजस्व की राशियाँ तहसील में जमा करावे।
Q.98 : प्रत्येक गांव से राजस्व वसूलने के लिये होते थे – पधान
Q.99 : पधान गांव के किन मे से नियुक्त किया जाता था – मौरूसीदारों में
Q.100 : राज्य के गांवों में राजा की आज्ञा से जो व्यक्ति किसी कृषि भूमि में कृषि करता था वह कहलाता था – असामी
Q.101 : असामी तीन प्रकार के होते थे – मौरूसीदार, खायकर, सिरतान
Q.102 : मौरूसीदार – जो राजाज्ञा से भूमि को बिना किसी दूसरे की आधीनता के कमाता था और टिहरी नरेश को राजस्व देता था,
Q.103 : खायकर – जो मौरूसीदार के अधीन उसकी भूमि से कमाता था तथा मौरूसीदार को निर्धारित रकम देता था
Q.104 : सिरतान – जो मौरूसीदार या खायकर को उसकी भूमि के लिए ‘सिरती’ या नकद रकम दिया करता था।
Q.105 : गढ़नरेशों तथा गोरखालियों के शासनकाल में ‘घीकर’ के नाम पर राशि किनसे लिया जाता था – पशु चराने वालों से
Q.106 : नये ढंग के विद्यालयों की स्थापना किसके राज्य काल से हुई, – कीर्तिशाह
Q.107 : प्रताप पाठशाला को हाईस्कूल बनाया – कीर्तिशाह ने
Q.108 : टिहरी में कैम्बैल बोर्डिंग हाउस, हिबेट संस्कृत पाठशाला, मुहम्मद मदरसा तथा कन्या पाठशाला की स्थापना की – कीर्तिशाह ने
Q.109 : 1876 में राजधानी में पहला ‘खैराती शफाखाना’ स्थापित किया – प्रतापशाह ने
Q.110 : ‘खैराती शफाखाना’ में किस पद्धति से चिकित्सा होती थी – भारतीय तथा योरोपीय
Q.111 : तीर्थ यात्रा मार्गों पर छोटे-छोटे औषधालयों की स्थापना की तथा चेचक को रोकने हेतु टीकाकरण प्रारम्भ करवाया – कीर्ति शाह ने
Q.112 : 1925 में नरेन्द्रनगर में एक वर्तमान ढंग के चिकित्सालय की स्थापना की – नरेन्द्रशाह ने
Q.113 : देवप्रयाग तथा उत्तरकाषी में भी चिकित्सालयों की स्थापना की गई – नरेन्द्रशाह ने
Q.114 : टिहरी मे रेड क्रोस सोसायटी की स्थापना की गई – 1934 मे
Q.115 : टिहरी राज्य कुष्ठ विधान पारित किया गया – 1939 में
Q.116 : 1941-42 तक राज्य में कुल मिलाकर कितने ग्रामीण आर्युवेदिकऔषधालयों स्थापना की जा चुकी थी – 16
Q.117 : छोटी दीवानी, बड़ी दीवानी, सरसरी और कलक्टरी नामक न्यायालयों की स्थापना की थी – सुदर्शनशाह ने
Q.118 : नरेन्द्रशाह ने हाइकोर्ट की स्थापना की जिसमें एक चीफ जस्टिस तथा एक या एक से अधिक पुइसन जजों की नियुक्ति का प्राविधान किया गया – सन् 1938 में
Q.119 : फौजदारी के विवादों के लिये स्थापना की गई – सैशन कोर्ट की
Q.120 : सैशन कोर्ट का उच्चाधिकारी होता था – सैशन जज
Q.121 : सैशन जज के अधीन थे – प्रथम, द्वितीय तथा तृतीय श्रेणी के मजिस्ट्रेट
Q.122 : राज्य की आय के प्रमुख स्त्रोत थे – भूमिकर, वन, न्यायालय, यातायात, आयात-निर्यात कर, मादक द्रव्य उत्पादन तथा विक्रय कर, आयकर
Q.123 : भूमिकर या लगान का कितना भाग नकद राशि के रूप में लिया जाता था – 7/8
Q.124 : भूमिकर या लगान का 7/8 भाग नकद राशि को कहते थे – मामला या रकम
Q.125 : जागीरदार एवं मुआफीदार अपनी जागीर तथा मुआफी के लिए गांवों से लिया करते थे – ‘मामला’, ‘बरा’ और लकड़ी
Q.126 : बरा’ कर – राज्य में पटवारी, उसका चाकर, फॉरेस्ट गार्ड आदि कम वेतन वाले कर्मचारियों को गांवों से ‘दिये जाने की प्रथा थी।
Q.127 : भू-व्यवस्था की देख-रेख करने वाले समस्त कर्मचारियों के लिए सुविधा शुल्क की भांति था – बरा कर
Q.128 : टिहरी प्रजामण्डल ने बरा कर को खत्म करने की मांग रखी थी
Q.129 : पँवार वंश के प्रमुख साहित्य
फतेह प्रकाश – रत्नकवि
रामायण प्रदीप – मेधाकर शर्मा
वृत कौमुदी – मतिराम
गढ़राजवंश – मौलाराम
प्रेम पथिक – तोतराम गैरोला
मनोदय काव्य – भरत कवि
फतेहशाह कर्ण – जटाशंकर मिश्र
सभा भूषण – हरिदत्त शर्मा
कीर्ति विलास – सदानंद डबराल
सर्वसंग्रह शास्त्र – सुदर्शन शाह
जहांगीर विनोद – भरत कवि
गोरखवाणी – सुदर्शन शाह द्वारा लिखित गढ़वाली भाषा की प्रथम रचना
गढ़वाल जाति प्रकाश – बालकृष्ण शांति भट्ट
वृत विचार ग्रंथ – कवि राज सुखदेव
फतेह प्रकाश ग्रंथ – भूषण कवि
गढ़वाल राज्ञा वंशावली – देवराज कृत
भारतीय लोक साहित्य – श्याम परमार
गढ़वाल की दिवंगत विभूतियाँ – भक्त दर्शन
diglori that was gurjar – कन्हैया लाल
गोरखनाथ एंड कनफटा योगीज – जार्ज फ्रेज़र
Q.130 : खुड्बुड़ा युद्ध की जानकारी मिलती है – वैली ऑफ दून से
Q.131 : किस पुस्तक से ज्ञात होता है कि फतेहशाह ने गुरु राम राय को गुरुद्वारा के लिए तीन गाँव दान दिये – मेमवायर्स ऑफ देहारादून पुस्तक