उत्तरकाशी में स्थित मंदिर
विश्वनाथ मंदिर (Vishwanath Temple)
उत्तरकाशी ऋषिकेश से 154 किलोमीटर की दूरी पर ऋषिकेश-गंगोत्री मार्ग पर स्थित है। विश्वनाथ मंदिर इस क्षेत्र में सबसे महत्वपूर्ण और प्राचीन पवित्र मंदिर है। उत्तरकाशी में कई मंदिरों में से भगवान विश्वनाथ का मंदिर महत्व में अनोखा है। विश्वनाथ मंदिर कैसे बनाया गया था इसके अनुसार, मंदिर का निर्माण राजा गणेश्वर द्वारा किया गया था, जिसका बेटा गुह, एक महान योद्ने त्रिशूल का निर्माण किया। 26 फीट ऊंची, इस त्रिशूल के आधार 8 फीट 9 इंच, और इसकी ऊपरी परिधि 18 ‘/ 2 इंच है ।
गंगोत्री मंदिर (Gangotri Temple)
‘चारों धामों में यह सबसे कम ऊंचाई पर स्थित मंदिर है । यह गंगा मंदिर के पास स्थित है जिसे गोरखा जनरल, अमर सिंह थापा द्वारा बनाया गया था । गंगोत्री के पवित्र तीर्थ समुद्रतल 3200 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह एक अच्छा मोटर मार्ग सड़कों से जुड़ा हुआ है जिसकी दूरी ऋषिकेश से लगभग 248 किलोमीटर है ।
कंडारा देवता मंदिर (Kandara Devta Temple)
ऋषिकेश से 160 किलोमीटर व देहरादून से 140 किलोमीटर की दूरी पर बसा सीमांत जनपद उत्तरकाशी । बस अड्डे से आधा किलोमीटर दूर कलक्ट्रेट के पास कंडार देवता का भव्य मंदिर है। यह मंदिर वर्षों पुराना है। उत्तरकाशी शहर के निकट संग्राली, पाटा, बग्यालगांव में भी कंडार देवता के मंदिर हैं।
शक्ति देवी मंदिर (Shakti Devi Temple)
उत्तरकाशी में विश्वनाथ मंदिर के दायीं ओर शक्ति मंदिर है। इस मंदिर में 6 मीटर ऊँचा तथा 90 सेंटीमीटर परिधि वाला एक बड़ा त्रिशूल स्थापित है । इस त्रिशूल का ऊपरी भाग लोहे का है तथा निचला भाग ताँबे का है । पौराणिक कथाओं के अनुसार देवी दुर्गा (शक्ति) ने इसी त्रिशूल से दानवों को मारा था । बाद में इन्हीं के नाम पर यहाँ इस मंदिर की स्थापना की गई।
यमुनोत्री धाम (Yamunotri Dham)
इतिहासकारों के अनुसार, यमुनोत्री मंदिर का निर्माण टिहरी गढ़वाल के महाराजा प्रताप शाह ने कराया था। हालांकि इस धाम का पुन: निर्माण जयपुर की महारानी गुलेरिया ने 19वीं सदी में कराया। यह स्थान उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के कालिंद पर्वत पर स्थित है। मंदिर के गर्भगृह में यमुना देवी की काले संगमरमर की प्रतिमा में प्राण प्रतिष्ठित है। यमुनोत्री धाम का मुख्य आकर्षण देवी यमुना के लिए समर्पित मंदिर एवं जानकीचट्टी है।
पौखू देवता मंदिर (Pokhu Devta Temple)
नेटवाड सिर्फ मोरी से 12 किलोमीटर और चकराता से लगभग 69 किलोमीटर दूर पर है। चलकर आपको टोंस नदी की उस पार जाना है जहां यह मंदिर स्थित है |पोखु देवता मंदिर, कर्ण मंदिर, सरनौल और दुर्योधन मंदिर, सौ (सभी तीन मंदिर एक ही क्षेत्र में हैं) देवदार, चीर और पाइन नैटवाड गांव को चारों ओर घेरता है जहां यह तीन मंदिर स्थित हैं, सभी 14 किलोमीटर की दूरी के भीतर हैं।
दुर्योधन मंदिर, (Duryodhana Temple)
दुर्योधन का मंदिर यहां के नेतवार नामक जगह से करीब 12 किमी दूर ‘हर की दून’ रोड पर स्थित सौर गांव में है. देहरादून से करीब 95 किमी दूर चकराता और चकराता से करीब 69 किमी दूर नेतवार गांव है. जबकि कर्ण मंदिर नेतवार से करीब डेढ़ मील दूर सारनौल गांव में है.
परशुराम मंदिर, (Parashurama Temple)
परशुराम का मंदिर उत्तरकाशी मुख्यालय में स्थित है बताया जाता है कि परशुराम ने यहाँ रहकर तपस्या की थी ।
कुटेटी देवी मंदिर (Kutti Devi Temple)
यह देहरादून से 199 किलोमीटर की दूरी पर गंगोत्री मार्ग पर स्थित है ।
कालिंगानाथ मंदिर (Kalinganath Temple)
कचडू देवता मंदिर (Kachdu Devta Temple)
अन्नापूर्णा शक्ति पीठ (Annapurna Shakti Peeth)
लक्षेश्वर मंदिर (Lakeshwar Temple)
विश्वेश्वर मंदिर, (Vishveshwar Temple)
दत्तात्रेय मंदिर (Dattatreya Temple)
कमलेश्वर मंदिर (Kamleshwar Temple)
कण्डास देवी मंदिर (Kandara Temple)
भैरव देवता का मन्दिर, उत्तरकाशी
कर्ण देवता उत्तरकाशी – नेटवाड से एक को साढ़े एक मील की दूरी पर चढ़ने के लिए सरनौल नामक एक गाँव तक पहुंचा जा सकता है। यह अपनी शांति और वनीय आकर्षण के लिए जाना जाता है।
चौरंगीखाल मंदिर, उत्तरकाशी
घटोकत्कच मन्दिर, उत्तरकाशी
हिडिम्बा मन्दिर, उत्तरकाशी
