प्रसिद्ध जर्मन विद्वान अल्फ्रेड वेगनर ने 1912 में यह सिद्धान्त प्रस्तुत किया ।

उन्होने पाया कि वर्तमान महाद्वीपों को मिलाकर एक भौगोलिक एकरूपता दी जा सकती है ।

उन्होने इसे भौगोलिक साम्यरूपता (jig-saw-fit) कहा ।

उनके अनुसार कार्बोनीफेरस युग में पृथ्वी के सभी स्थलखंड आपस में जुड़े हुये थे ।

इस वृहत महाद्वीप को उन्होने पैंजिया नाम दिया ।

इसके चारों और एक वृहत महासागर का विस्तार था जिसे पैथालासा कहा गया ।

अंतिम ट्रियासिक युग में पैंजिया का विभाजन प्रारम्भ हुआ एवं इसका एक भाग उत्तर की ओर तथा दूसरा भाग दक्षिण की ओर

विस्थापित हुआ । उत्तरी भाग लोरेशिया (अंगारलेंड) तथा दक्षिणी भाग गोंडवानालेंड कहलाया ।

इन दोनों स्थलीय भागों के बीच एक उथला व संकीर्ण महासागर का निर्माण हुआ जिसे टेथिस सागर कहते हैं ।

लगभग 6.5 करोड़ वर्ष पूर्व अंतिम क्रिटेशियस युग में गोंडवानालेंड में विभाजन के फलस्वरूप दक्षिणी अमेरिका, अफ्रीका,

प्रायद्वीपीय भारत, मेडागास्कर तथा ऑस्ट्रेलिया का निर्माण हुआ ।

प्रायद्वीपीय भारत के उत्तर की ओर विस्थापित होने के कारण हिन्द महासागर का निर्माण हुआ ।

अंगारालेंड अलग होकर उत्तरी अमेरिका, यूरोप तथा एशिया बना ।

दोनों अमेरिका के पश्चिम की ओर विस्थापित होने के कारण अटलांटिक महासागर का निर्माण हुआ ।

इसी विस्थापन के कारण उत्तर तथा दक्षिण अमेरिका के पश्चिमी भाग में रॉकी और एंडीज़ पर्वत का निर्माण हुआ ।

इसी प्रकार अफ्रीका तथा प्राद्वीपीय भारत के उत्तर की ओर विस्थापन के कारण हिमालय तथा अन्य अल्पाइन पर्वतों का निर्माण हुआ ।

पैंजिया तथा पैथालासा का अवशिष्ट भाग वर्तमान में क्रमश: अंटार्कटिका तथा प्रशांत महासागर के रूप में मौजूद है ।

वेगनर के  अनुसार पैंजिया के टूटने का कारण गुरुत्व बल प्लवनशीलता (force of buoyancy) तथा ज्वारीय बल (tidal force) है ।

…. वेगनर के द्वारा प्रतिपादित महाद्वीपीय विस्थापन के संबंध मे प्रमाण ….

भौगोलिक एकरूपता (jig-saw-fit), ग्लोसोप्टीरस वनस्पतियों के अवशेषों का भारत, मेडागास्कर, दक्षिणी अफ्रीका, औस्ट्रेलिया व

अंटार्कटिका के अलग – अलग जलवायु प्रदेशों मे पाया जाना ,

छोटानागपुर के पठार में हीमोढ़ो का पाया जाना,

डायनासोर व लोमिंग मछली के जीवाश्मों का कनाडा में पाया जाना,

ब्राज़ील के डिलामेयर पर्वत व अंगोला के प्री-कैम्ब्रियन पर्वतों का एक सीध में व एक काल में निर्मित होना,

एक ही प्रकार के भूगर्भिक संरचना व उससे संबंद्ध खनिजों का भिन्न-भिन्न महाद्वीपों में पाया जाना

वेगनर के सिद्धान्त की मौलिकता का प्रमाण हैं ।

यद्धपि उनके द्वारा महाद्वीपीय विस्थापन हेतु विवेचित पक्ष अपर्याप्त रहे हैं परंतु उनके द्वारा दिये गए विभिन्न प्रमाण

1960 के दशक में प्लेट विवर्तनिकी के सिद्धान्त के विकास का मार्ग प्रशस्त करने में सहायक हैं ।

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