बैजनाथ को प्राचीन काल में बैजनाथ-कार्तिकेयपुर भी कहा जाता था ।

कत्यूरी घाटी में स्थित, कौसानी से 19 किमी दूर और बागेश्वर से 26 किलोमीटर दूर,

यह छोटा लेकिन प्राचीन शहर बैजनाथ है ।

जब कत्यूरी राजवंश ने जोशीमठ स्थित कार्तिकेयपुर नामक अपनी राजधानी का त्याग किया तो वे

बैजनाथ की उपजाऊ घाटी में चले आए । इस स्थल को कत्यूरी वंश की राजधानी बनाने वाला कत्यूरी शासक नरसिंह देव था ।

इस प्रकार यह स्थल एक एतिहासिक महत्व का है । यहाँ से अनेक पुरातात्विक महत्व के मंदिरों व मूर्तियों के अवशेष प्राप्त हुये हैं ।

यहाँ से प्राप्त मूर्तियों में विष्णु, पार्वती, नृत्यरत गणेश, सूर्य, महीषासुर मर्दिनी, शिव इत्यादि की मूर्तियाँ प्रमुख है ।

यह स्थल गोमती के तट पर बसा है । यहाँ आसपास से अनेक मंदिर एवं मूर्तियाँ भी प्राप्त हुई हैं ।

यहाँ से प्राप्त मूर्तियों में एक विशेषता इनका हरे रंग के पाषाण से निर्मित होना है ।

यहाँ से एक (बैजनाथ मंदिर समूह में) एसा अंडाकार पाषाण भी है ।

जिसे साथ-आठ व्यक्ति मिलकर केवल अपनी तर्जनी अंगुली से उठा सकते हैं

जबकि अकेले किसी भी व्यक्ति द्वारा उसे उठा पाना सरल नहीं ।

बैजनाथ मंदिर समूह के मंदिर जीर्णावस्था में पहुँच चुके हैं ।

बैजनाथ मंदिर समूह वर्तमान में मोटर मार्ग के समीप 100-150 मीटर की दूरी पर स्थित है ।

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