इनका जन्म टिहरी गढ़वााल के सरकासैंणी, पट्टी लौत्सु (बढि़यारगढ) , में 19 दिसंबर, 1933 में हुआ।
उनके पिता अध्यापक थे।
उनकी प्रारंभिक शिक्षा गांव में हुई।
आगे की पढ़ाई के लिये वे मसूरी चले गये।
यहां घनानंद हाईस्कूल में पढ़ते उनकी प्रतिभा निखरने लगी।
शुरू में इन्होंने गढ़वाली में “आगरा” और “रैबार” जैसी पत्रिकाएं शुरू की ।
छोटी उम्र में ही उनकी कवितायें और कहानियां प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होने लगीे।
सामाजिक भेदभाव और जाति-पात को न मानने वाले गोविन्द कंडारी यहीं से गोविन्द चातक बने।
चातक जी ने 1960 से लेकर 1964 तक आकाशवाणी दिल्ली में नाट्य निर्देशक एवं गढ़वाली लोक संगीत के समन्वयक के रूप में कार्य किया।
इसके बाद में अध्यापन क्षेत्र में आ गये।
वे दिल्ली विश्वविद्यालय के राजधानी कालेज में हिन्दी प्रवक्ता पद पर चले गये और रीडर पद से अवकाश लिया।
यहां उन्हें पढ़ने-लिखने का वातावरण मिला। उन्होंने पुस्तकों का लेखन प्रारंभ किया ।
डाॅ. गोविन्द् चातक का रचना संसार बहुत बड़ा है।
उस पर कभी फिर बातचीत। फिलहाल उनकी अलग-अलग विषयों पर लिखी पुस्तकों पर एक नजर-
लोक विधायें
1. गढ़वाली लोकगीत
2. गढ़वाली लोकगाथायें
3. गढ़वाली लोककथायें
4. आकाशदानी दे पानी
5. गढ़वाली लोकगीतः एक सांस्कृतिक अध्ययन
6. मध्य पहाड़ी भाषा शास्त्राीय अध्ययन
7. भारतीय लोकसंस्कृति का का संदर्भः मध्य हिमालय
8. मध्य पहाड़ी की भाषिक परंपरा और हिन्दी
9. संस्कृतिः संमस्यायें एवं संभावनायें
10. पर्यावरण और संस्कृति का संकट
11. पर्यावरण परंपरा और अपसंस्कृति
नाटक
1. केकड़े
2. काला मुंह
3. दूर का आकाश
4. बांसुरी बजती रही
5. अंधेरी रात का सफर
6. अपने-अपने खूंटे
कहानी संग्रह
1. लड़की और पेड़
नाट्यालोचना
1. प्रसाद के नाटकः स्वरूप और संरचना
2. प्रसाद के नाटकः सर्जनात्मक धरातल और भाष्िाक चेतना
3. नाटककार जगदीश चंद्र माथुर
4. आधुनिक हिन्दी नाटक का मसीहाः मोहन राकेश
5. रंगमंचः कला और दृष्टि
6. नाट्य भाषा
7. आधुनिक हिन्दी नाटकः भाषिक और संवाद संरचना
8. नाटक की साहित्यिक संरचना
पुरस्कार एवं सम्मान
1. हिन्दी अकादमी दिल्ली से ‘दूर का आकाश’ नाटक पुरस्कृत
2. साहित्य कला परिषद द्वारा ‘बांसुरी बजती रहे’ के लिये सर्वश्रेष्ठ नाट्यकृति का पुरस्कार
3. हिन्दी संस्थान लखनऊ द्वारा ‘बांसुरी बजती रहे’ को भारतेन्दु हरिश्चन्द्र पुरस्कार
4. हिन्दी संस्थान लखनऊ द्वारा रामनरेश त्रिपाठी सम्मान
5. पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा पुरस्कृत
6. देहरादून का सुप्रसिद्ध जयश्री सम्मान7. साहित्य के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिये उमेश डोभाल सम्मान
जून 2007 में उनका निधन हो गया ।
