23अक्टूबर 1924 को जन्मे, स्कूली शिक्षा के बाद आगरा विश्वविद्यालय एवं काशी विश्वविद्यालय, बनारस से उच्च शिक्षा प्राप्त कर पंजाब विश्वविद्यालय (चण्डीगढ़) में संस्कृत विभागाध्यक्ष के तौर पर कार्यरत प्रो. डी.डी. शर्मा जो मूलत: तत्कालीन उ.प्र. (अब उत्तराखण्ड) के नैनीताल जिले के जंगलियागॉंव में पले-बढ़े थे ।
एक दर्जन से अधिक भारतीय एवं विदेशी भाषाओं का ज्ञान रखने वाले श्री शर्मा के अब तक उत्तराखंड की भाषाओं पर आधे दर्जन से अधिक , हिंदी में दस , पंजाबी में एक , संस्कृत में दो , अंग्रेजी में सोलह और हिंदी में दो अनुदित ग्रंथ प्रकाशित हो चुके हैं ।
संपूर्ण हिमालय क्षेत्र की भाषाओं में 12 भागों में प्रकाश्यमान अनुसंधान योजना के लिए 1984 में नेहरू फैलोशिप और वि. वि. अनुदान आयोग द्वारा “एमेरिटस फैलोशिप” से सम्मानित किया गया ।
हिमालय चित्रों का सर्वेक्षण व जनजातीय भाषाओं में शोध एवं लेखन के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए “इंटरनेशनल बायोग्राफिकल सेंटर” कैंब्रिज, इंग्लैंड द्वारा वर्ष 1997 – 98 के लिए इन्हें “वर्ष का अंतरराष्ट्रीय व्यक्ति” घोषित किया गया था ।
संस्कृत में विशिष्ट योगदान के लिए राष्ट्रपति द्वारा सन 2000 में सर्टिफिकेट ऑफ ऑनर से सम्मानित किया गया था ।
वर्ष 2011 में भारत सरकार की ओर से गणतंत्र दिवस के अवसर पर सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘पदमश्री’ सम्मान से विभूषित किया गया ।