लीलाधर जगूडी  का जन्म 1 जुलाई 1944 धंगल गाँव , टिहरी गढ़वाल जिला में हुआ ।

व्यवसाय – हिंदी कवि साहित्यकार

इनकी प्रमुख रचनाएं निम्न है : शंखमुखी शिखरों पर(1964) ,
नाटक जारी है (1972) ,
इस यात्रा में(1974),
रात अब भी मौजूद है(1976) ,
बची हुई पृथ्वी(1977) ,
घबराए हुए शब्द (1981),
भय भी शक्ति देता है(1991) ,
अनुभव के आकाश में चाँद(1994) ,
महाकाव्य के बिना(1995) ,
ईश्वर की अध्यक्षता में(1999),
खबर का मुँह विज्ञापन से ढँका है आदि

नाटक : पाँच बेटे
गद्य : मेरे साक्षात्कार

महाकाव्य के बिना” इनकी लंबी कविताओं का संग्रह है जो कि लघु महाकाव्य जैसा प्रतीत होता है ।

1977 में इन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था ।

और इन्हे 2004 में पद्मश्री से सम्मानित ,
रघुवीर सहाय सम्मान ,
भारतीय भाषा परिषद् सम्मान ,
नमित पुरस्कार ,
आकाशवाणी पुरस्कार ,
ब्यास सम्मान  (2018 ) यह सम्मान 2013 में प्रकाशित उनके कविता संग्रह ‘जितने लोग उतने प्रेम‘ के लिए दिया जा रहा है ।

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